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________________ 416 स्वर्ण-जयन्ती गौरव-ग्रन्थ 55. 60. योगसार पाहुड रत्नसार लब्धि पाहुड लिंग पाहुड विद्या पाहुड शील पाहुड षड दर्शन संस्थान पाहुड सूत्र पाहुड स्थान पाहुड सूना पाहुड दश भक्ति तोय पाहुड सिद्ध भक्ति शोध पाहुड यिहय पाहुड रयणसार लोक पाहुड वस्तु पाहुड 64. विहिया पाहुड 66. शिला पाहुड 68. समयसार पाहुड 70. साल्मी पाहुड सिद्धांत पाहुड सत्य पंथ परिकर्म शरण पाहुड श्रमणसार द्रव्य सार 82. पंचगुरु भक्ति 72. 76. 83. इस प्रकार महान जिनवाणी की सेवा करते हुए तेरानवे वर्ष के हो गये और समाधिमरण प्राप्त कर स्वर्गवासी हो गये। काल की गति विचित्र है। बाद के आचार्यों ने पाहुडों का संग्रह किया तो मात्र चौदह पाहुड उपलब्ध हो सके शेष काल के गाल में समा गये। इन उपलब्ध चौदह पाहुडों के नाम और उनकी गाथा संख्या निम्न है:1. समयसार-415, 2. प्रवचनसार-275, 3. नियमसार-187, 4. पंचास्तिकाय-173 एवं अष्ट पाहुडों में 1. दर्शन पाहुड-36, 2. सूत्र पाहुड-27, 3. चारित्र पाहुड-45, 4. बोध पाहुड-61, 5. भाव पाहुड-165, 6. मोक्ष पाहुड-106, 7. लिंग पाहुड-22, 8. शील पाहुड-40 इस प्रकार इन अष्ट पाहुडों के 502 गाथाएँ हुयीं। इसके पश्चात् बारसाणुबेक्खा के 91 पद्य और द्वादश भक्ति संग्रह के 114 पद्य हैं। उपरोक्त 14 पाहुडों के कुल 1757 पद्य हैं। ये सभी 14 पाहुड छप चुके हैं। समयसार पाहुड की टीका एक हजार वर्ष बाद आचार्य अमृतचंद ने की। इन पर कलश भी लिखे और 47 शक्तियों के महत्व का पूर्ण वर्णन किया। नियमसार पर आचार्य पदमप्रभ मलधारी देव ने कलश लिखे। इस प्रकार 14 पाहुड और समयसार, नियमसार के कलशों को मिलाकर कुल 16 विधान भोपाल के निवासी राजमल जी पवैया ने लिखे। सभी विधान काव्यमय हैं। समाज में इन विधानों का बहुत आदर हुआ। अनेकों विद्वानों ने प्रशंसा की। आचार्य श्री रंजनसूरि देव पटना ने बनारस से पार्श्वनाथ विद्यापीठ के मुखपत्र श्रमण में पांच पृष्ठ का लेख समयसार पर छापा। सभी पाहुडों के विधानों का सम्पादन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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