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________________ राजा श्री खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख 375 ऐतिहासिक परिदृश्य को दृष्टिगत रखते हुए ये वर्ष महावीर निर्वाण संवत् (ईसवी पूर्व 527) में रहे सूचित होते हैं। प्राचीन उपलब्ध अभिलेखों में खारवेल के इस अभिलेख में ही सर्वप्रथम भारतवर्ष (भरधवस). उत्तरापथ (उतरापध) और तमिल देशों के संघ (तमिर-दह-संघातं) का उल्लेख प्राप्त होता है। इसी अभिलेख से यह भी विदित होता है कि अशोक मौर्य से पहले मगध के नन्द राजाओं ने कलिंग की विजय की थी और उनके दक्षिण की ओर अभियान को रोकने के लिए तमिल देशों का एक संघ बना था। खारवेल का यह हाथीगुम्फा अभिलेख प्राचीन भारत के इतिहास का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रलेख (document) है क्योंकि जो सूचनायें इसमें प्राप्त होती हैं वे अन्यत्र उपलब्ध नहीं हैं। मौर्य सम्राट अशोक के ईस्वी पूर्व 236 में निधन के बाद मौर्य साम्राज्य का विघटन हुआ और उसके परिणाम स्वरूप जो प्रादेशिक राज्य उदय में आये उनमें एक राज्य कलिंग में खारवेल के पितामह द्वारा स्थापित राज्य भी था। इस अभिलेख में प्राप्त विवरण के आधार पर खारवेल के राज्यकाल में कलिंग के इस राज्य ने विशेष महत्व अर्जित किया। जो अन्तक्ष्यि इस अभिलेख में उपलब्ध है उससे खारवेल का राज्यकाल लगभग 185 ईस्वी पूर्व से 172 ईस्वी पूर्व रहा सूचित होता है। ईस्वी पूर्व 172 खारवेल के राज्यकाल का 13वां वर्ष था और उस समय उसकी आयु 37 वर्ष थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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