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स्वर्ण-जयन्ती गौरव-ग्रन्थ
ग्रामवासी सर्वश्री काली साह, जनक राय, महावीर राय, मूसाराय और याकूब मियाँ, फतेहपुर निवासी श्री केशव नारायण सिंह, वासोकुण्ड निवासी सर्वश्री खेलावन सिंह, दहाउर पासवान, बिजली सिंह, महावीर पासवान, महावीर सिंह, महेन्द्र सिंह और शांति सिंह तथा इब्राहिमपुर वासी श्री नथुनी सिंह। इन सभी भूमिदान दाताओं के नाम का स्मरण स्मृतिशिला में उत्कीर्ण है। इन सभी को नमन।
___ भ. महावीर की जन्मभूमि सदियों से दो एकड़ 'अहल्ल भूमि' (बिना जुती) मानी जाती है जो चार कुण्डों के मध्य स्थित है। वैशाली संघ की पावन प्रेरणा से वासोकुण्ड वासी क्षत्रिय परिवार के सर्वश्री महेन्द्र सिंह, बिजली सिंह, खिलावन सिंह, महावीर सिंह और नथुनी सिंह ने अपने आराध्य भ. महावीर के स्मारक निर्माण हेतु महामहिम राज्यपाल महोदय को भ. महावीर के नाम दान दे दी। इस भूमि को पावन माना जाता है और उसे मलमूत्र आदि से सुरक्षित रखकर विशेष अवसरों पर सभीजन एकत्रित होकर महावीर की आराधना करते हैं। जन्म जयंति और निर्वाण दिवस मनाते हैं। वासोकुण्ड में अद्भुत महोत्सव
वैशाली-संघ के अनवरत प्रयासों और बिहार राज्य सरकार की धार्मिक सहिष्णुता तथा सांस्कृतिक अभिरुचि के परिणाम स्वरूप दिनांक 23.04.1956, महावीर जयंति का दिन वैशाली वासियों के लिए ऐतिहासिक दिन सिद्ध हुआ। महामहिम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की अगवानी के लिए वैशाली वासी पलक-पॉवड़े बिछाये उत्सुकता से उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। प्रतीक्षा की घड़ी समाप्त हुई। महामहिम राष्ट्रपति जी, महामहिम राज्यपाल जी (श्री आर. आर. दिवाकर), शिक्षामंत्री आचार्य बदरीनाथ वर्मा, जैन समाज के अग्रणी नेता साहू श्री शांतिप्रसाद जी (उद्योगपति), डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल (इतिहासकार) आदि सभी भ. महावीर की पावन जन्मभूमि की रजमस्तक पर धारण कर अपने को कृतार्थ मान रहे हैं। अहल्ल भूमि पर महामहिम राष्ट्रपति जी ने करतल ध्वनि के मध्य भ. महावीर जन्मभूमि पट्ट का अनावरण कर लोकार्पित किया। सदियों से अभिशप्त वैशाली के अभिशाप का शमन हुआ। सभी ने भ. महावीर और उनकी परम कल्याणकारी अहिंसा का जयघोष कर नये युग का सूत्रपात किया।
भ. महावीर की जन्मभूमि को उपकृत कर महामहिम राष्ट्रपति जी ने वासोकुण्ड वैशाली में प्राकृत शोध संस्थान का शिलान्यास किया। आपने अपने उदबोधन में प्राकृत भाषा की महत्ता दर्शायी। भ. महावीर के 'अहिंसा परमो धर्मः' सन्देश को स्मरण किया और कहा महावीर ने हमें समन्वयात्मक दृष्टि दी है। यह बड़ी देन है। इसकी गहराई को समझें और उसके व्यवहारात्मक पहलू को जीवन में उतारें। वैशाली में प्राकृत अनुसंधान शाला की स्थापना से भारतीय इतिहास की टूटी हुई शृंखलाएँ जुड़ेंगी और भविष्य में वैशाली पुनः विद्या और संस्कृति का केन्द्र साबित होगा। आपने दानदाताओं और बिहार राज्य सरकार को धन्यवाद दिया। वासोकुण्ड-वैशाली में पुनः नये युग का सूत्रपात हुआ। सभी में नवोदय की भावना जाग्रत हुई। राज्यपाल महामहिम श्री आर. आर. दिवाकर, शिक्षामंत्री श्री आचार्य बदरी नाथ वर्मा और साहू श्री शांति प्रसाद जी ने भी अपने भावभीने उद्गार
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