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जैनधर्म के चौबीस तीर्थंकर
बालक का नामकरण "अरिष्टनेमि" किया गया;
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" अरिष्टं अप्रशस्तं तदनेन नामित, नेमि सामान्य । विसेसो रिट्ठरमणामर्ह नेमी, उप्पयमाणी सुविणेपेच्छति ।। ' बचपन में ही इनकी विशिष्टताएं सबके आकर्षण का केन्द्र रही; "तन्यन्मदं दशार्हाणां, भ्रातोश्च हलिकृष्णयोः । अश्वितनेमिर्भगवान, ववुद्ये तत्र च क्रमात् ||21| ज्यामांसोऽपि लघुभृग्रं चिकीहुः स्वामिना समम् । सर्वेऽपि भ्रातरः क्रीड़ा शैलोद्यानादि भूमिषु ॥ 3 ॥
श्रीकृष्ण - काल की विविध घटनाओं से अरिष्टनेमि संबद्ध रहे। सांसारिकता से सुख की अनुभूति न करते हुए दीक्षा ग्रहण कर साधना में तल्लीन, इन्हें आश्विन कृष्ण अमावस्या को पूर्वाह्न काल में घातिया कर्म नष्ट कर "केवलज्ञान" की प्राप्ति हुई । अन्ततः आषाढ़ शुक्ला सप्तमी को उज्जयंतगिरि पर " अरिष्टनेमि" को निर्वाण प्राप्त हुआ। ये 1000 (एक हजार) वर्ष तक जीवित रहे। अरिष्टनेमि का प्राचीन साहित्य में विशिष्ट स्थान है। यही नहीं, वरन् इनकी ऐतिहासिक स्थिति के विषय में भी विद्वान सहमत हैं।
( 23 ) पार्श्वनाथ
" पार्श्वनाथ" तेइसवें तीर्थंकर हुए। इनका समय 8वीं शती ईसा पूर्व था। वे एक ऐतिहासिक - पुरुष थे। वाराणसी- नरेश - अश्वसेन की रानी वामादेवी ने 16 शुभ स्वप्नों के बाद पौष - कृष्ण - दशमी को इस पुत्र रत्न को जन्म दिया। गर्भकाल में मां ने पास में सरकते हुए सर्प को देखा था, जिससे कोई हानि नहीं हुई। तदनुसार बालक का नामकरण किया गया;
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"गर्भस्थितेऽस्मिन्जननी, कृष्णानिश्च त्रिपार्श्वतः । सर्पन्तं सर्पमद्राक्षीत, सद्यः पत्युः शएंस च ।। स्मृत्वा तदेष गर्भस्य, प्रभाव इति निर्णयन् । पार्श्व इत्यभिद्यां सूनोरश्वसेननृपोऽकरोत्।।'
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उत्तरापुराण में बताया गया है कि इन्द्र ने बालक का नाम “ जन्माभिषेक कल्याणपूजा निर्वृत्यनन्तरम् । पार्श्वभिधानं कृत्वास्य, पितृभ्यां तं समर्पयन् ।। ' 23
" पार्श्वनाथ" क्षत्रिय कुल के थे। बचपन से ही पार्श्वनाथ बड़े साहसी, दयालु व क्रियाशील थे। नागोद्वार इनकी उदारता का प्रतीक है। इस राजकुमार को जनता अत्यन्त प्यार करती थी। इनका विवाह कुशस्थल देश के सम्राट नरवर्मा की पुत्री प्रभावती के साथ हुआ। राजकुमार होते हुए भी सांसारिकता से विरक्ति-भाव उत्पन्न हुआ और इन्होंने दीक्षा ग्रहण कर ली। साधना में लीन पार्श्वनाथ अनेक उपद्रवों से भी अविचलित रहे, अतः धरणेन्द्र ने स्वयं आकर उन्हें पद्मासन व सप्तफणों के छत्र से अलंकृत किया । अन्ततः
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पार्श्वनाथ" रखा;
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