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जैन संस्कृति
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रानी-राजा थे तो यह कैसे कहा जा सकता है कि उस समय कोई सभ्यता-संस्कृति नहीं थी। राज व्यवस्था का होना ही प्रमाणित करता है कि ऋषभदेव से पहले सभ्यता थी, संस्कृति थी। ऋषभदेव जैन संस्कृति के उन्नायक
सामने आई विभिन्न समस्याओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जैन संस्कृति ऋषभदेव के पहले से चली आ रही थी उन्होंने उसका विकास किया। चूंकि वे राजा थे इसलिए सभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में उन्हें प्राथमिकता दे दी गई है। वास्तव में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के सहयोग से जैन संस्कृति को आगे बढ़ाया, उसमें समयानुसार विविध सुधार किए। इसलिए उन्हें जैन संस्कृति का संस्थापक या जन्मदाता न मानकर उन्नायक मानना श्रेयस्कर है। वे प्रथम तीर्थंकर थे इसमें कोई शक नहीं। उन्होंने चार संघों की स्थापना की - श्रमण संघ, श्रमणी संघ, श्रावक संघ तथा श्राविका संघ। ऐसा तो सभी तीर्थकरों ने किया है। तीर्थकर शब्द से ही यह जाना जाता है। क्योंकि तीर्थ का अर्थ होता है संघ। नेमिनाथ
नेमिनाथ को 22वें तीर्थकर के रूप में जाना जाता है। उनका दूसरा नाम अरिष्टनेमि भी है। वे सौर्यपुर के राजा समुद्रविजय के सुपुत्र तथा राजा अन्धकवृष्नि के सुपौत्र थे। द्वारका के राजा उग्रसेन की कन्या राजुलमति से उनकी सादी निश्चित की गई थी। किन्तु अपनी शादी के अवसर पर दिए जाने वाले भोज की तैयारी में कटने वाले पशु-पक्षिओं के चीत्कार को सुनकर उनका दिल द्रवित हो गया और उन्होंने शादी से विमुख होकर रैवत (गिरनार) पर्वत पर श्रमणधर्म को अपना लिया। वहीं पर कठोर के बाद उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे तीर्थकर बने। . नेमिनाथ के विषय एक जैन मान्यता है कि वे कृष्ण के चचेरे भाई थे। इस सम्बन्ध में जैन विद्वानों का यह दावा है कि यदि कृष्ण की सत्ता को समाज स्वीकार करता है तो उसे नेमिनाथ की सत्ता को भी स्वीकार करना चाहिए। यह तर्क तो ठीक है किन्तु एक समस्या सामने आती है कि कृष्ण को द्वापर युग का माना जाता है जो ऐतिहासिक गणना से बहुत ही पहले की चीज है या यह भी कह सकते हैं कि वह ऐतिहासिक बोध से परे है। नेमिनाथ पार्श्वनाथ के पूर्वगामी थे। महावीर का समय ई. पूर्व छठी शती माना जाता है। पार्श्वनाथ महावीर से 250 वर्ष पहले हो गए हैं। अत: अनुमान किया जा सकता है कि नेमिनाथ पार्श्वनाथ से 250-300 वर्ष पहले हुए होंगे। इस हिसाब से नेमिनाथ का समय ई.पूर्व 10वीं, 11वीं शती हो सकता है जब कृष्ण का समय ऐतिहासिक गणना से परे है और नेमिनाथ का अनुमानित समय 10वीं, 11वीं शती ई.प. है तो दोनों समकालीन और चचेरे भाई कैसे हो सकते हैं।
नेमिनाथ कृष्ण के चचेरे भाई थे अथवा नहीं यह कहना तो कठिन है। लेकिन एक तर्क सामने आता है जिसके द्वारा महाभारत काल में नेमिनाथ के होने की सम्भावना बढ़ जाती है। वह है महाभारत में अहिंसा सिद्धान्त का प्रतिपादन। गीता जो महाभारत,
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