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क्षमा की शक्ति
सुरेश जैन आई.ए.एस. (से.नि.)*
क्रोधित होना सरल है। कोई भी व्यक्ति आसानी से क्रोधित हो सकता है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु पर अपना क्रोध प्रगट कर सकता है। किन्तु सही व्यक्ति पर क्रोधित होना सरल नहीं है। सही सीमा तक क्रोधित होना सरल नहीं है। सही उद्देश्य के लिए क्रोधित होना सरल नहीं है। सही व्यक्ति पर, सही सीमा तक, सही समय पर और सही उद्देश्य के लिए क्रोधित होना कठिन है। यह सही है कि हमारे लिए क्रोध का नियंत्रण एवं नियमन करना कठिन अवश्य दिखाई देता है, कठिन प्रतीत होता है किन्तु हम थोड़े से प्रयत्न, प्रशिक्षण और धैर्य से अपने क्रोध को नियमित और नियंत्रित कर सकते हैं। ऐसे नियंत्रित क्रोध को हम कुछ सीमा तक कभी-कभी रचनात्मक स्वरूप भी प्रदान कर सकते हैं। कभी-कभी विशेष प्रयास कर क्रोध को उदित ही न होने दें। क्रोध उत्पन्न होने पर तुरंत ही क्रोध को शांत करें। मंद करें। क्षमा का प्रयोग करें। क्षमा शिशु सुलभ सरलता एवं अद्भुत आनंद की जननी है। अनुभवी, परिपक्व सज्जन और वृद्धजन की सजनी है। क्षमा करने की प्रवृत्ति अद्भुत मानसिक शक्ति और क्षमता की जननी है। क्षमा संयमित जीवन की उपलब्धि एवं अभिव्यक्ति है। क्षमा का भाव सहनशीलता, उदारता और सद्भाव का जनक है। महत्वपूर्ण नैतिक गुण है। आंतरिक चेतना का शोधक है। क्षमा हमारा भला करती क्षमा हमारा कल्याण करती है। दूसरे को क्षमा करना, अपनी गलती स्वीकार करना और दूसरे से क्षमायाचना करना महत्वपूर्ण कला है। इस कला को हम प्रयत्न पूर्वक सीखें। दैनिक जीवन में इस कला का उपयोग करें। हम अपने हृदय में क्षमा, मैत्री और करुणा को भरकर रखें। अपने हृदय से सदैव करुणा, क्षमा और मैत्री को छलकने दें। विश्व के सभी धर्मग्रन्थों द्वारा हमारे दैनिक व्यवहार में क्षमा की महत्ता एवं उपयोगिता को स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया गया है। प्राचीनकाल से ही भारत में क्षमा पर अनेक स्वतंत्र पुस्तकें लिखी गई हैं। सहस्रों वर्ष पूर्व भारतीय पुराणों में वर्णित क्षमा और प्रतिक्षमा की अनेक जीवंत गाथायें पठनीय और अनुकरणीय हैं।
3. ऐसी गाथाएं प्रभावी ढंग से हमें क्षमा का यह पाठ पढ़ाती हैं कि किसी भी व्यक्ति के प्रति घृणा न रखें दोषी व्यक्ति को अपनी इच्छापूर्वक क्षमाकर हम अद्भुत
* 30,
निशात कॉलौनी, भोपाल, म.प्र. - 462003.
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