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________________ 146 स्वर्ण-जयन्ती गौरव-ग्रन्थ आदतों के निर्माण की भूमि प्रशस्त हो जाती है। ये प्रयोग संकल्प-शक्ति, आत्म-विश्वास और आत्म-निरीक्षण की क्षमता को बढ़ाते हैं। स्वास्थ्य और मिताहार का प्रशिक्षणः हृदय-परिवर्तन का दूसरा सूत्र-स्वास्थ्य और मिताहार का प्रशिक्षण। शारीरिक स्वास्थ्य और अहिंसा में भी आन्तरिक सम्बन्ध है। शारीरिक स्वास्थ्य के अभाव में हिंसा का भाव उपजता है। अतः यह अहिंसा के प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रायोगिक प्रशिक्षणः प्रायोगिक प्रशिक्षण के अन्तर्गत योगासन और प्राणायाम का अभ्यास अहिंसा प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है। 2. दृष्टिकोण परिवर्तनः अहिंसा प्रशिक्षण का द्वितीय आयाम है- दृष्टिकोण परिवर्तन। गलत दृष्टिकोण के कारण मिथ्या धारणाएं, निरपेक्ष चिन्तन और एकांगी आग्रह पनपते हैं। मिथ्या धारणाएं, निरपेक्ष चिन्तन और एकांगी आग्रह हिंसा के मुख्य कारणों में हैं। जबकि सापेक्ष चिन्तन सामाजिक सम्बन्धों की भूमिका में एक महत्वपूर्ण तत्व है। सापेक्ष चिन्तन होता है तो फिर स्वार्थ की सीमा निश्चित हो जाती है। यह नहीं हो सकता कि समाज के बीस प्रतिशत व्यक्ति अतिभाव में जीएं और अस्सी प्रतिशत व्यक्ति भूखे मरते रहें। मानवीय सम्बन्धों में जो कटुता दिखाई दे रही है उसका हेतु निरपेक्ष दृष्टिकोण है। संकीर्ण राष्ट्रवाद और युद्ध भी निरपेक्ष दृष्टिकोण के परिणाम हैं। सापेक्षता के आधार पर सम्बन्धों को व्यापक आयाम दिया जा सकता है। मनुष्य, पदार्थ, वृत्ति, विचार और शरीर के साथ सम्बन्ध का विवेक करना अहिंसा के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। मनुष्यों के प्रति क्रूरतापूर्ण, पदार्थ के प्रति आसक्तिपूर्ण, विचारों के प्रति आग्रहपूर्ण, वृत्तियों के साथ असंयत, शरीर के साथ मूर्छापूर्ण सम्बन्ध है तो हिंसा अवश्यंभावी है। जैन दर्शन के महान् सिद्धान्त अनेकान्तवाद के प्रयोग से लाभः अनेकान्त का प्रशिक्षण मिथ्याधारणा, निरपेक्ष चिन्तन और आग्रह से मुक्त होने का प्रयोग है। परिवर्तन केवल जानने से नहीं होता। इसके लिए दीर्घकालिक अभ्यास अपेक्षित है। सर्वांगीण दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए निम्न निर्दिष्ट अनेकान्त के सिद्धान्त और प्रायोगिक अभ्यास-अनप्रेक्षाओं का प्रशि आवश्यक है: सिद्धान्त प्रयोग सप्रतिपक्ष सामंजस्य की अनुप्रेक्षा सह-अस्तित्व सह-अस्तित्व की अनुप्रेक्षा स्वतंत्रता स्वतंत्रता की अनुप्रेक्षा सापेक्षता सापेक्ष की अनुप्रेक्षा समन्वय समन्वय की अनुप्रेक्षा 3. जीवन शैली परिवर्तनः अहिंसा प्रशिक्षण का तीसरा आयाम है- जीवन शैली का परिवर्तन। जीवन शैली परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण सूत्र है- सुविधावादी जीवन शैली में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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