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________________ 100 स्वर्ण-जयन्ती गौरव-ग्रन्थ पूर्व के लेखों में क्रमशः लाजा, पुलुवं आलभितु रूप हो जाते हैं। स का श में परिवर्तन तो पालि में बिल्कुल नहीं होता। लूडर्स ने प्राचीन अर्द्धमागधी को पालि का आधार माना है। इनका मत है कि मौलिक रूप में पालि त्रिपिटक प्राचीन अर्धमागधी भाषा में था बाद में उसका अनुवाद पालि में हुआ जो पश्चिमी बोली पर आश्रित थी। इनका मानना है कि त्रिपिटक में जो मागधी रूप दृष्टिगोचर होते हैं वे अर्द्धमागधी के अवशिष्ट अंश हैं। फ्रेन्च विद्वान सिल्वालेवी ने प्रमाणित करने का प्रयत्न किया था कि पालि त्रिपिटक मौलिक बुद्ध वचन न होकर किसी पूर्ववर्ती मागधी बोली का अनुवादित रूप है जिसमें ध्वनि परिवर्तन पाली भाषा की अपेक्षा अधिक विकसित अवस्था में था। पाली के कोदी एवं संघादिसेस जैसे शब्दों के उनसे संस्कत प्रतिरूप 'एकोटि' संघातिसेस जैसे शब्दों के साथ तलना की है जिसमें शब्द के मध्य स्थित संस्कृत अघोष (कच त् प् आदि) स्पर्शों के स्थान पर घोष (ग ज द ब् आदि) स्पर्श होने का नियम था। लेवी ने पालि त्रिपिटक और अशोक के शिलालेखों में इस तरह की खोज की है जैसे भाब्रू अभिलेख में 'राहुलोवाद' की जगह 'लाघुलोवाद' है। अधिकृत्य की जगह 'अधि गिच्य' है। 'क' के स्थान पर 'ग' पालि में अल्प ही होता था। 'अधिगिच्य' में 'च्य' भी पालि की प्रवृत्ति के अनुकूल नहीं है। लेवी ने पालि को ऐसी भाषा से प्रभावित माना है जिसमें अघोष स्पर्शों (क्त् प्) को घोष स्पर्शों (ग दब) में परिवर्तन हो जाता है। जैसेमाकन्दिक - मागन्दिय कयंगल कजंगल अचिरवती अजिरवती पाराचिक पाराजिक ऋषिवदन - इसिपतन लेवी का तो कहना था कि पालि त्रिपिटक अपने मौलिक स्वरूप में ऐसी भाषा थी जिसमें शब्द के मध्य स्थित अघोष स्पर्शो के घोष स्पों में परिवर्तित होने का नियम था। गायगर ने लेवी के इस मत को प्रमाणित इसलिए नहीं माना है कि उक्त के विपरीत अर्थात संस्कृत घोष का पालि में अघोष होता है। अगरु अकलु परिघ पलिघ कुसीद कुसीत मृदंग मुतिंग शावक चापक प्रावरण पापुरण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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