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स्वर्ण-जयन्ती गौरव-ग्रन्थ
आलुंकी (1/153)
गंदीणी (2/83)
आमलकी-क्रीडा
कि मेरी मुट्ठी ऊनी है या पूरी और प्रश्नोत्तरों
के माध्यम से जय-पराजय का निर्णय करना। = आंखें बन्दकर छिवा-छिबौअल या लका-छिपी
का खेल खेलना। आंखों एवं मन को अत्यन्त मनोरंजक लगने वाला विचारोत्तेजक उत्साहवर्धक खेल, जिसे देखते-देखते मन नहीं थकता। वर्तमान में उसे अंडा-डावली-खेल कहा जाता है। इसमें वृक्षारोहण-क्रिया करने की प्रतियोगिता से जय-पराजय का निर्णय किया जाता है। अर्धमागधी आगम-साहित्य के अनुसार भ. महावीर के बचपन का यह खेल लोकप्रिय था। वे स्वयं अपने सखाओं के साथ यह खेल
खेला करते थे। = द्यूत-क्रड़ा का स्थल
जुए का खेल जुआ के खिलाड़ी
टेंटा- (4/3)
आफरो- (1/63) डभिओ- (4/8) केश-विन्यास-एवं सामग्री खब्बरी (6/90)
ढुमंतओ (5/47)
फुटा (9/84)
ओअग्गिअं (1/172) कुंभी (2/34)
समयाभाव के कारण जल्दीबाजी में केशों को
जैसे-तैसे बांध लेना। = रूखे-सूखे केशों को साधारण ढंग से लपेट
लेना। - बिना तैल लगाए ही केशों का झोंटा बांध
लेना।
केशों का सामान्य जूड़ा बांधना। = व्यवस्थित एवं सन्दर ढंग से सजाया
केश-विन्यास। = सिर को धूलादि से बचाने के लिये उसे रंगीन
कपड़े से बांधना या साड़ी का पल्ला सिर पर रखना। केशों में किसी लसदार पदार्थ को लगाकर केशों को स्थिर बनाए रखना।
चन्दन का चूर्ण। = सुगन्धित द्रव्यों को मिलाकर बनाये गये चूर्ण
से केशों को साफ करना।
अणराहो (1/24)
णीरंगी (5/31)
वण्णयं (7/37) वहू-चुण्ण (7/31)
पूणा
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