________________
प्राकृत-भाषा की प्राचीनता एवं सार्वजनीनता
89
अम्मा-माता (1/5) उक्ख लो - (1/8)
चुल्ली
- (1/88)
उत्थल्ला-पत्थल्ला - (1/22) उल्लुट (1/179) उडिदो (1/96) उव्वाओ (1/102)
ओड्डणं- (1/155) कट्टारी (2/4) कोइला (2/44) खड्डा (2/66) खडकी-(2/71) खल्ल (2/66) चाउला-(3/8) छइल्लो (3/24)
राजस्थानी, ब्रज, बुन्देली हिन्दी तथा भोजपरी
में ओखली, उखली, उखरी। = चूल्हा-चूलो (राजा., बुन्देली, ब्रज, हिन्दी,
भोजपुरी आदि में)।
उथल-पुथल = उलटा, = उडिस- (भोज, बंगला, मैथिली, खटमल) ऊबना, उबकाई ओढ़नी, कटार, कटारी (छुरी) कोयला,
खड्ड, गड्ढा, = खिड़की, खिरकी,
खाल, चमड़ी, = चॉवल, = छैला, (बन-ठन कर रहने वाला शौकीन
युवक) = छिनार, बाजारु औरत = राजस्थानी-जोणर, जोणरो, ब्रज-जुणरी, भोज.
जनरी, बुन्देली, जुंवार। झमेला झूठा टिपकी, ढेंकना, लॅकनी
तागा, डोरा, = मामी
शेधनी, झाडू = चिपटी, चिपटी (नाक) = अंगूठी
छिणाली (3/27) जोण्णविया (3/50)
झमाल- (3/53) झुट्ठ (3/58) टिप्पी (4/3) ढंकणी (4/14) तग्गं- (5/1) मम्मी (6/112) सोहणी (8/17) चिच्चो (3/9) अंगुट्ठी (1/6) मनोरंजन के साधन खेल-क्रीड़ा-सूचक-शब्द अंवेट्टी (1/7)
- अपनी मुट्ठी में कुछ कंकर अथवा छोटे सिक्के लेकर अपने सखा-सखियों से पूछना
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org