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स्मृति का शतदल
मंगल मूर्ति पूज्य काकाजी
- प्रताप सिंह बैद पूर्व अध्यक्ष,भारत जैन महामंडल, बम्बई
भगवान महावीर के उपदेशों में एक बड़े महत्व की बात है, उन्होंने आज्ञा दी थी कि सब धर्मों पंथों और मानवों में जो सत्य का अंश है उसे ग्रहण करना चाहिए। किसी एक मजहब, पथ या व्यक्ति के पास सम्पूर्ण सत्य है, यह मानना उचित नहीं है। पूज्य काकाजी आजीवन इन्हीं विचारों का अनुसरण करते रहे।
पूज्य काकाजी से मेरा प्रथम परिचय कलकता में हुआ, जब में ६-१० वर्ष का था। वह मेरे शिक्षक थे और मैं उनका विद्यार्थी । काकाजी मेरी पूज्य दादीजी के भतीजे तथा पूज्य पिताजी के मामा के बेटे भाई थे।
बड़े होने पर मेंने पूज्य काकाजी को ओसवाल नवयुवक समिति में व्यायाम करते देखा। आगे जाकर मैं समाज सेवा में भाग लेने लगा तो उस समय आपके मार्गदर्शन में मैने कार्य किया।
___ संसार मे मनोबल प्रमुख है। वह जाग उठे तो असंभव होने वाले काम भी मनुष्य कर दिखाता है तथा अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करता है। पूज्य काकाजी ने भी गणाधिपति गुरूदेव की कृति ‘अग्नि परीक्षा' को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंधित करने पर जबलपुर उच्च न्यायालय से आदेश को निरस्त करवाने में सक्रिय रूप से भाग लिया तथा सफल हुए।
वे युवकों में प्राण फूंक देते थे। अपने कार्यकाल में युवकों को संगठित किया। हम युवक कार्यकर्ता उनके आत्मीय व्यवहार से आकृष्ट रहते थे। आज भी उनकी याद आते ही आंखें भर आती हैं तथा कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
वह हमें प्रामाणिकता के साथ निर्भय होकर बढ़ते रहने का अवसर देते। उनसे प्रशिक्षित मेरे जैसा युवक समग्र जैन समाज की प्रतिनिधि संस्था 'भारत जैन महामंडल,
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