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युगपुरूष स्व. मोहनलालजी बांठिया |
- कन्हैयालाल दूगड़ भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री जैन श्वेताम्बर
तेरापंथी महासभा, कलकता
संगीत के विशेषज्ञ मेरे मित्र श्री मणीलालजी मिश्र ने एक दिन कहा कि रफी साहब और लतामंगेष्कर जैसे संगीतज्ञ युगों में कभी कभी जन्म लेते है। यह बात मुझे जब भी याद आती है तो श्री मोहनलालजी बांठिया याद आ जाते है। बहुमुखी प्रतिमा के धनी बांठियाजी ओसवाल समाज विशेषकर तेरापंथी समाज में एक स्थान रिक्त छोड़ गये है जिसकी पूर्ति होनी कठिन है।
मैंने अपने ५० वर्ष के सार्वजनिक जीवन में ऐसा व्यक्तित्व कम ही देखा है। बांठियाजी एEncyclopediaथे। जिस किसी विषय पर उनसे चर्चा की जाती वे उसी विषय के अधिकारी विद्वान पाये जाते।
एक साधारण मध्यवित्त परिवार में जन्म लेकर अनेक कठिनाइयों के बीच उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर परीक्षा पास की और अपना जीवन नौकरी से प्रारंभ कर व्यापार की उंचाइयों में पहुंच गये। अपने कई साथियों को इन्होने काफी संपन्न बनाया।
मेरी समझ मे उन्होने शायद ही कभी झूठ बोला हो। बड़ा व्यापार करके भी नैतिकता को उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और आजीवन उसे निभाया। समाज ऐसे महान व्यक्तित्व का उचित मूल्यांकन नही कर सका यह वेदना हृद्रय को हमेशा कचोटती रहती है।
___बांठियाजी का सार्वजनिक जीवन उनकी छात्रावस्था से ही प्रारम्भ होता है। श्री ओसवाल नवयुवक समिति के वे संस्थापक (Founder Member) सदस्य थेओसवाल नवयुवक समिति अपने समय की एक प्रतिष्ठित संस्था थी जिसके सदस्य
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