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प्रेरक प्रसून
धर्मनिष्ट श्रावक
स्व. मोहनलालजी बांठिया से हमारे काफी निकट के संबंध थे। वे हमसे काफी स्नेह रखते थे। जैन दर्शन, जैन आगमों का जहां आपका गहन अध्ययन था समझ थी वहीं वे संघ व संघपति के प्रति पूर्णतः समर्पित धर्मनिष्ठ श्रावक थे। उनकी सेवाओं को तेरापंथ समाज कभी विस्मृत नहीं कर सकता।
वे चिन्तनशील विचारक व स्पष्ट वक्ता थे। अपने चिन्तन को स्पष्ट शब्दों में रखना व उस पर दृढ़ रहना उनकी विरल विशेषता थी।
- मन्नालाल सूराणा
जयपुर
कुशल न्यायविद्
आदरणीय मोहनलालजी साहब का भाई जी धनराजजी के साथ सम्पर्क था। वो अब नहीं रहे । मेरी याद जहां तक जाती है आदरणीय बांठियाजी सीधे-साधे मृदु भाषी, मिलनसार व्यक्ति थे। अग्नि-परीक्षा केस के समय उन्होंने जितना श्रम किया, वह हमें याद रहेगा। उनकी जागरुकता के कारण ही हम केस को जीत सके। सारे भारत के ही नहीं मध्यप्रदेश के श्रावक भी उनकी सेवाओं के लिए आजीवन कृतज्ञ रहेंगे।
- पारस नाहर
जबलपुर
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