________________
स्वः मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ
बहुआयामी कृतित्व के धनी
_ - रतनलाल रामपुरिया, कलकता भूतपूर्व अध्यक्ष, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा
मेरा स्व. बांठियाजी से सन १९५६ से वर्षों तक उनके जीवन पर्यन्त सम्बन्ध रहा। प्रायः फोन पर सम्पर्क बना रहता था तथा यदाकदा उन्हें निकट से देखा। वे बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी, कुशल निर्देशक, भावुक हृदय के व्यक्ति थे। अपने जीवन के अन्तिम वर्षों मे अस्वस्थ रहते थे। इसलिए संस्थाओं में आना जाना कम था। फिर भी सबसे सम्पर्क बनाए रखते थे।
वे आगम साहित्य पर शोधपरक दृष्टिकोण के समर्थ लेखक थे। इनके लिखे कई ग्रंथ भी प्रकाशित हुए हैं जो जैन शोध साहित्य के अनुपम धरोहर हैं। वे जैन साहित्य के विशेषज्ञ सम्प्रति प्राध्यायकीय कार्य में दीर्घकाल तक संलग्न रहे । उनके अनुराग की संस्थापना से उतुराग के पितामह तक का व्यक्तित्व था। साथ ही समाजसेवी के साथ-साथ विशाल मित्र-मण्डली में सुहृदय मित्र तथा परिवार में एक आदर्श पिता थे।
श्री बांठियाजी सरल, उदार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे तेरापंथ समाज की सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के सजग प्रहरी थे तथा कार्यकर्ताओं को निरन्तर संरक्षण देने एवं प्रगति पथ पर उन्हें अग्रसर करना उनका जीवन व्रत था।
__ मैं उनके आयोजित समारोह व प्रकाश्य जीवन यात्रा ग्रंथ की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org