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श्रद्धा सुमन
मननशील व कर्मठ व्यक्तित्व
- श्रीचन्द रामपुरिया कुलाधिपति, जैन विश्व भारती, लाडनूं
भाई मोहनलाल कल्पनाशक्ति और कार्यजाशक्ति दोनों गुणों से मो-ह-न था। वह अध्ययनशील, मननशील व कर्मठ था।
ओसवाल नवयुवक समिति उसी की उपज रही है। उसका प्रथमांक सिंहावलोकन उसके आरम्भ का इतिहास है। वह गद्य लेखक ही नहीं पद्य लेखक भी था, कुशल संपादक था।
स्वास्थ्य की दृढ़ता के लिए समाज में व्यायाम-आन्दोलनको प्रारंभ करने में वह अग्रणी था। वह लोहे की पाती को दांतों बीच दबाकर हाथों से मोड़ देने का प्रदर्शन कर दर्शकों को आश्चर्य चकित कर देता था।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी विद्यालय एवं श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के प्रति उसकी सेवाएं भुलाई नहीं जा सकती रूढ़ी उन्मूलन आन्दोलन का प्रवर्तन करने में भी वह अग्रणी पंक्ति में था।
अस्वस्थता के कारण वह समय से पहले ही चल बसा। नाना जैन कोशों की कल्पना और उनके लिए गहरा अध्ययन उसके जीवन का उच्चतम प्रयोग था। उसके देहान्त के बाद इस विद्या को श्री श्रीचन्द चोरड़िया 'न्यायतीर्थ' ने जीवित रखा, यह अत्यन्त हर्ष की बात है। यह उसके जीवन का जैन समाज को एक अवदान ही है।
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