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________________ Jain Education International धन्य हुआ धन्य हुआ वह देश की जिसने 'महावीर' सा मानव पाया, सफल हुआ जन वही कि जिसने इनको निज आदर्श बनाया । विजयी रहा सदा वह जीवन जो उसके पथपर बढ़ पाया, करती है कल्याण सभी का उसके नित चरणों की छाया । उसका जन्म स्वयं अपने जग का निर्माण बन गया, और एक दिन 'महावीर' यह मानव से भगवान बन गया ॥ - राजेन्द्र कुमार 'कुमरेश' तब तुम उतरे स्वर्गधाम से. निर्मल नभ में ज्योतिर्गण जब चमक रहे थे अति अभिराम । दमक रहे थे सूर्य चन्द्र भी महक रहे थे चन्दन धाम । उषा की जब लाल किरण ने पृथ्वी तल को किया ललाम, तब तुम उतरे स्वर्गधाम से 'वीर' लोक के कमल ललाम ॥ - कमल कुमार 'गोइल्ल' कहानी महावीर भगवान की आओ आओ सुनो कहानी, मानवता उत्थान की । सत्य-अहिंसा के अवतारी महावीर भगवान की ॥ मानव-मानव मध्य बढ़ रही, भेद भाव की खाई थी । पशुओं में थी त्राहि-त्राहि हिंसा से थर्राई थी ॥ धर्म नाम पर द्वेष दम्भ आडम्बर की बन आई थी । स्वार्थ असत्य अनैतिकता से, मानवता मुरझाई थी || आओ || प्रान्त विहार पुरी वैशाली, राजा थे सिद्धार्थ सुजान । चैत्र सुदी तेरह को माता, त्रिशला से उपजे गुणखान ॥ श्रीवृद्धि सर्वत्र हुई थी, जनता ने सुख पाये थे । इससे जग में त्रिशलानन्दन, 'वर्द्धमान' कहलाये थे || आओ || मदोन्मत्त हाथी के मद को चूर 'वीर' पद प्राप्त किया । दर्शन से शंकायें मिट गई मुनिजन 'सम्मति' नाम दिया ॥ तरु लिपटे विषधर को वश कर 'महावीर' कहलाये थे । सर्वहितैषी शान्त वीर के सबने ही गुण गाये थे || आओ ० ॥ For Private & Personal Use Only [ २८ www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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