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________________ सेठ अचलसिंह, एम. पी. आगरा प्रिय श्री ज्योति प्रसाद जी, आपका पत्र दिनांक ८ सितम्बर का मिला, धन्यवाद । मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तर प्रदेश महावीर निर्वाण समिति शीघ्र ही एक 'भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ' प्रकाशित करने जा रही है। मेरी इस शुभकार्य के लिए शुभकामनाएं स्वीकार करें। ग्रन्थ के माध्यम से आप भगवान महावीर स्वामी के जीवन और सिद्धान्तों का अधिक से अधिक प्रचार एवं प्रसार कर सकेंगे। आशा है, आपके नेतृत्व में उसे उपयोगी बनाने में कोई कमी न रहेगी । स्वस्थ एवं सानन्द की कामना है । दिनांक १२-९-१९७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only आपका - अचलसिंह प्रिय श्री ज्योति प्रसाद जैन जो, आपका दिनांक ७-१०-७५ का पत्र मिला। आपने श्री महावीर निर्वाण समिति उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित किये जाने वाले 'भगवान महवीर स्मृति ग्रन्थ' के सम्बन्ध में जो संदेश मांगा है, उसके लिए धन्यवाद । भगवान महावीर ने आज से २५०० वर्ष पूर्व तत्कालीन समाज एवं राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए जो मार्ग इंगित किया था वह आज की परिस्थितियों में भी उतना ही हितकर हो सकता है जितना कि तब था। उनकी शिक्षा शाश्वत सिद्धान्तों के ऊपर आधारित थी जिसका मूल स्तम्भ सत्य और अहिंसा थे । यही शिक्षा बाद में महात्मा गान्धी ने अपने जीवन में ग्रहण कर देश की आजादी की लड़ाई जीती थी। आज के समाज एवं राष्ट्र में भी सत्य और अहिंसा की परमावश्यकता है । सेवा कुटीर पानदरीबा, लखनऊ दिनांक २९ अक्टूबर १९७५ संसार अभी भी पीड़ित है । उसके निर्वाणार्थ सत्य और अहिंसा का शस्त्र ऐसा है जो बाधाओं से समाज को मुक्त कर सकता है अतः महावीर जी के प्रति श्रद्धांजलि इसी के द्वारा अर्पित की जा सकती है कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में बराबर ढालने का प्रयास करते रहें । शुभकामनाओं सहित, आपका - चन्द्रभानु गुप्त www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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