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________________ जैन नगर, जगाधरी दि० १७.९-७५ भगवान महावीर २५०० वें निर्वाण महोत्सव वर्ष में उत्तर प्रदेश समिति भगवान महावीर स्मृति-ग्रन्थ का प्रकाशन कर रही है, यह सन्तोष एवं प्रसन्नता की बात है। अन्य में प्रकाशित सामग्री पठनीय हो एवं प्रकाशन सफल हो ऐसा शुभाशीर्वाद है। -उपाध्याय मुनि विद्यानन्द वीरायतन राजगृह (बिहार) दिनांक १५.९-७५ उसर प्रदेश आदि काल से ही जैन संस्कृति का महान केन्द्र रहा है। जैन परम्परा के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव, जो मानव-सभ्यता के आदि स्रष्टा एवं उपदेष्टा हैं, अयोध्या क्षेत्र में जन्म लेते हैं। श्री शान्ति, कुन्थु, अर--तीन चक्रवर्ती तीर्थंकरों को जन्मभूमि हस्तिनापुर है। यादव-कुल सूर्य तीर्थकर नेमिनाथ के जन्म से शौरीपुर क्षेत्र पावन हुआ है। अर्हन्त पार्श्वनाथ की जन्मभूमि होने का गौरव वाराणसी को प्राप्त है । दो चार उदाहरण क्या, उत्तर प्रदेश के मथुरा, कौशाम्बी, वाराणसी, अयोध्या, श्रावस्ती आदि अनेक महानगरों के अतीत में जैन इतिहास के अनेकानेक उदबोधक घटनाचित्र दीप्तिमान हैं। इतिहास-दष्टि के अनेक महान मनीषियों के चिन्तन में, उत्तर प्रदेश (गोरखपुर) को पावा ही भगवान महावीर की वास्तविक निर्वाण भूमि प्रमाणित होती है । आचार्य रकंदिल के नेतृत्व में द्वितीय आगम-वाचना का मथुरा में होना, प्रमाणित करता है कि लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश जैन वाङमय का भी लीलाक्षेत्र रहा है। अस्तु श्री महावीर निर्वाण समिति उ० प्र० द्वारा प्रस्तावित भगवान महावीर स्मृतिग्रन्थ का मैं हृदय से स्वागत करता है। आशा है, ग्रन्थ द्वारा भगवान महावीर के लोकमंगलकारी संदेशों के प्रचार-प्रसार के साथ उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित जैन इतिहास की अनेक ज्ञात-अज्ञात गाथाओं को भी प्रमाण पुरःसर व्यापक रूप में उजागर किया जायगा। फलतः उत्तर प्रदेश की ओर से उक्त अन्य के द्वारा जैन-अजैन विद्वानों एवं * जिज्ञासुओं को एक चिरस्थितिशील चिन्तन सामग्री उपलब्ध होगी। -उपाध्याय अमर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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