________________
यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता है कि उत्तर प्रदेश राजकीय समिति द्वारा 'भगवान महावीर स्मृतिग्रन्थ' का प्रकाशन हो रहा है। भगवान महावीर का संदेश प्रत्येक जाति के
मानव के लिए कल्याणकारी है। उत्तर प्रदेश भारत राज्य का सबसे विस्तृत एवं भाग्यशाली प्रदेश है क्योंकि अनेक महापुरुषों का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ है और उनकी कीर्ति में उत्तर प्रदेश का रग-रग पवित्र है । मैं चाहती हूँ कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ भगवान महावीर के पावन संदेशों को दिग्दिगन्त में प्रसारित करने के लिए आदर्श स्वरूप सिद्ध हो-यही मेरा शुभ आशीर्वाद है।
-आर्यिकारत्न ज्ञानमती माताजी
उत्तर प्रदेश के विशाल भू-भाग को प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव से लेकर अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर तक के अनेक तीर्थंकरों की पद-रज से पावन होने का समय-समय पर सौभाग्य प्राप्त होता रहा है। इस भू-भाग के पूर्वी अंचल से पश्चिमी अंचल तक के अनेक नगर तथा देहात अपने में जैन परम्परा के गौरव-पूर्ण इतिहास को अन्तर्भावित किये हुए हैं। पूर्वी तथा उत्तरी अंचल के साथ भगवान महावीर की अनेक जीवन-गाथाएं अनुबद्ध हैं, अतएव राज्य प्रशासन द्वारा संचालित श्री महावीर निर्वाण समिति ने २५०० वें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये हैं। यह स्मृति-ग्रन्थ उसकी रचनात्मक श्रद्धांजलि है ।
भगवान महावीर ज्योति-पुरुष थे। उन्होंने साधकों को वह सम्बल प्रदान किये, जिससे वे स्वयं ज्योति बने । साधकों की उस श्रृंखला में अर्जुनमाली, दृढ़प्रहारी तथा रोहिणेय जैसे आततायी व ख्यातनामा तस्कर भी थे, तो पूणिये जैसे गरीब, चन्दना जैसी दासी एवं हरिकेशबल जैसे अन्त्यज भी थे। उनके उपदेश राजाओं एवं श्रीमन्तों तक ही सीमित नहीं थे, उनकी समदर्शिता में सब को समान स्थान था। ऐसे ज्योतिपुरुष का निर्वाण महोत्सव अवश्य ही जनजन में समता का उत्प्रेरक बनेगा।
-मुनि महेन्द्र कुमार 'प्रथम' * १५ अक्टूबर १९७५
कलकत्ता।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org