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शुभकामनायें
जैन दर्शन के रत्नत्रय सम्यक् ज्ञान दर्शन और चारित्र को आधार बनाकर यह सभा अपने संस्थापन काल से शिक्षा, सेवा और साधना के लोक कल्याणकारी मार्ग पर चल रही है। शिक्षा, सेवा और साधना समन्वित यह बीज अंकुरित होकर विशाल वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है एवं इसकी सुखद शीतल छाया एवं मधुर फलों के रसास्वादन से केवल पं० बंगाल ही नहीं वरन् समग्र भारत राष्ट्र आप्यायित और लाभान्वित हो रहा है।
वीरेन्द्र सिंह लोढ़ा आगम अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर भी और
पश्चिम बंगाल में श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैनसभा, कोलकाता ने शिक्षा सेवा और लोक कल्याणकारी कायों में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है, यह संतोष का ही नहीं, गौरव का भी विषय है।
उपाध्यक्ष
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शिक्षा के क्षेत्र में श्री जैन विद्यालय कोलकाता, श्री जैन विद्यालय हावड़ा (बॉयज एवं गर्ल्स) श्री हरखचंद जैन विद्यालय जगतदल अपना वर्चस्व कायम किये हुए हैं। तकनीकी शिक्षा में (जो आज की महती आवश्यकता है) हरखचंद-तारादेवी स्नातकीय कॉलेज २००६ से अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहा है। साथ ही सुन्दरलाल दुगड़ चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा डेन्टल कॉलेज, श्री सोहनलाल कमलादेवी सिंघवी कॉलेज ऑफ एजुकेशन एवं श्री पन्नालाल - हीरालाल कोचर द्वारा नर्सेज ट्रेनिंग कॉलेज भी शीघ्र ही प्रारंभ होने वाले हैं। यह सब जैन समाज द्वारा बंगाल में शिक्षा सेवा के क्षेत्र में अनुपम एवं अभिनन्दनीय कार्य है ।
चिकित्सा के क्षेत्र में शिवपुर-हावड़ा में २२० बैड का सर्व सुविधा सम्पन्न आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित श्री जैन हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेन्टर जहाँ असहाय रोगियों के लिए वरदान है वही " जीवो और जीने दो' का प्रत्यक्ष में कार्य द्वारा संपन्न कर रहा है । सेवा का गुण प्रत्यक्ष में परिलक्षित हो रहा है।
श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा के सभी कार्यकर्तागण, पदाधिकारी एवं दान देने वाले महानुभाव बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में जैन धर्म के सेवा गुण को साकार रूप देकर एक अभिनंदनीय अभिनव कार्य किया है।
वीर प्रभु से यही प्रार्थना है कि यह सभा निरन्तर प्रगति कर मानव सेवा में अविस्मरणीय रहे।
गुमानमल चौरड़िया
Jain Education International
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श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा, कोलकाता की स्थापना पर्वाधिराज पर्युषण के अष्टम दिवस सम्वत्सरी के शुभ अवसर पर १९२८ में हुई। यह दिवस त्याग तप, क्षमा देने व करने का है। समाज के महामानवों ने संकल्प किया और उनकी निष्ठा, सेवा, कुछ करने गुजरने का जज्बा ही आज जैन समाज को गौरवान्वित कर रहा है।
१९७८ स्वर्ण जयंति के अवसर पर भविष्य की जिन योजनाओं की रूपरेखा सभा ने तैयार की तथा जिस सामूहिक निष्ठा व सेवा भावना से सभा के कार्यकर्ताओं ने उसे आगे बढ़ाया, वह राष्ट्र के लिए भी प्रेरणादायक है।
आठ दशकों की संपूर्ति के शुभ अवसर पर जनकल्याणकारी कार्यक्रम की योजना बनाकर उच्च शिक्षा के संस्थान मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, टेक्नोलोजी आदि महाविद्यालयों की स्थापना करके शताब्दी तक जैन विश्व महाविद्यालय में परिणत हो, उसकी गुणवत्ता व व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हो, इसी मंगलकामना के साथ।
झंवर लाल बैद पूर्व मंत्री श्री श्वे० स्था० जैन सभा, कोलकाता
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श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा कोलकाता आठ दशकीय लोक कल्याणकारी शिक्षा सेवा साधना की संपूर्ति के उपलक्ष में "अमृतमहोत्सव के आयोजन पर संग्रहणीय स्मारिका का प्रकाशन भी कर रहा है। जिसमें उपलब्धियों भरे गौरवमय ८० (अस्सी) विगत वर्षों का लेखा रहेगा तथा भावी योजनाओं की पूर्व जानकारी रहेगी। इस अनुपम आयोजन की सफलता के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई । केसरीचंद गोलछा
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"कलकत्ता महानगर की अग्रणी जैन संस्थाओं में एक चिरपरिचित नाम “श्री जैन सभा कलकत्ता पिछले ८० वर्षों से निरन्तर सेवा - शिक्षा-साधना के लक्ष्य को नित नई ऊँचाइयों की दिशाा में बृहत्तम आयाम स्थापित करते हुए गतिमान है। यह कलकत्ता ही नहीं समग्र भारत के जैन समाज के लिए गौरव और प्रसन्नता की बात है। हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन अब तक की यात्रा के पीछे समस्त भूतपूर्व एवं वर्तमान ट्रस्टियों के अथक प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा के बिना महोत्सव अधूरा है अतः सभी को हार्दिक बधाई एवं अभिनन्दन। यह प्रज्ज्वलित ज्योति अखंड प्रकाशमान रहे, इसी शुभकामना के साथ।
अष्टदशी / 80
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हीरालाल बोहरा
सह सचिव वीरायतन कलकत्ता
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