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________________ हिम्मतसिंह डूंगरवाल कोलकाता प्रवास के दौरान तथा संस्थान के कार्याध्यक्ष श्री सोहनलालजी धींग को आपका एवं उदारमना भामाशाह परम श्रद्धेय श्रीमान् सुन्दरलालजी दूगड़ का सान्निध्य मिला। दोनों हृदय सम्राटों द्वारा किये गये आतिथ्य सत्कार एवं आत्मीयता से हम बहुत अभिभूत हुए। श्रद्धेय कांकरिया सा. ने जैन सभा द्वारा असहायों के लिए 'श्री जैन हास्पिटल एवं रिसर्च सेन्टर हावड़ा' तथा नये महाविद्यालय की स्थापना हेतु ली गई भूमि एवं उस पर बन रहे विशाल-भवनों के दिग्दर्शन के साथ ही भावी योजनाओं से अवगत कराया। इस उम्र में भी संस्थान के लिए दौड़धूप कर संस्थान में नये आयाम स्थापित करने की ललक देखकर हम बहुत प्रभावित हुए। निसन्देह संस्थान ऐसे ऊर्जावान, निष्ठावान कर्मयोगी को पाकर धन्य हुआ है। जैन सभा की उदार दृष्टि के चलते दो लाख इक्यावन हजार रुपये, पांच कम्प्यूटर एवं उच्च अध्ययनरत् प्रतिभाशाली जरुरत मंद जवाहर विद्यापीठ के विद्यार्थियों को जो महती सहायता कांकरिया सा, एवं दुगड़ सा. ने प्रदान करायी, वह हमारे लिए गौरव की बात है। जैन सभा, कोलकाता के अन्तर्गत श्री सुन्दरलालजी दुगड़ चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से बनने वाले डेन्टल कॉलेज, श्री सोहनलालजी-कमला देवी सिंघवी कॉलेज ऑफ एजूकेशन एवं श्री पन्नालाल-हीरालाल कोचर नर्सेस कॉलेज तथा कामर्स एवं तकनीकी शिक्षा हेतु हरकचन्द-तारा देवी स्नातकीय कॉलेज अपने उद्देश्यों को मूर्त रुप देता हुआ मानव सेवा करने की दूसरों को प्रेरणा देता रहे। . प्रकाशन के सम्पादक बधाई के पात्र है कि उन्होंने समाज सेवी व्यक्तियों के समाज के उत्थान हेतु किये जा रहे कार्यों से समाज को अवगत कराने का कार्य हाथ में लिया। निसन्देह इस प्रकाशन से समर्पित भाव से समाज सेवा में लगे व्यक्तियों का मनोबल तो बढ़ेगा ही साथ ही इनके कार्यों से प्रेरणा लेकर नये व्यक्ति समाजसेवा के कार्यों से जुड़ समाज को विकास की ओर अग्रसर करेंगे। असहायों के प्रति समर्पित हमारी शुभकामनाएँ है कि जैन-सभा कोलकाता ‘दिन दूनी रात चौगुनी' नये आयामों के साथ प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए अपनी सुवास नगरों के साथ-साथ सुदूर आदिवासी एवं पिछड़े क्षेत्र तक तीव्र गति से पहुंचाए। मैं नमन करता हूँ उन सभी श्रेष्ठीजनों को जिनके मन में इस संस्थान की स्थापना का विचार आया तथा अपने समर्पण भाव से इसे मूर्त रूप प्रदान कर जैन समाज की ही नहीं अपितु पूरे मानव जाति की सेवा की। ऐसे बिरले व्यक्ति ही होते हैं जिनके जीवन का प्रत्येक क्षण एवं कार्य दूसरे की सेवा के लिए समर्पित होता है। ऐसे व्यक्तियों का जीवन दूसरों को समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है। ऐसे व्यक्तियों में एक व्यक्तित्व श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन-सभा कोलकाता के प्रमुख ट्रस्टी शिक्षा प्रेमी, धर्म एवं कर्मनिष्ठ, ऊर्जावान ‘संघ-सरदार' परम श्रद्धेय श्रीमान सरदारमलजी कांकरिया हैं। जिसका सम्पूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित है। हम संस्थान के उपाध्यक्ष के रूप में आपका मार्गदर्शन एवं सम्बल प्राप्त कर गौरवान्वित हैं। इनकी धर्म-निष्ठा इनके कर्मशील व्यक्तित्व में परिलक्षित होती है। इनके व्यक्तित्व के किसी भी पक्ष को लेकर देखें दूसरों के लिए प्रेरणास्पद है। संचालक, जवाहर विद्यापीठ, कानोड़ ० अष्टदशी/780 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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