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पानादेवी सेठिया
अध्यक्षा : श्री साधुमार्गी जैन महिला समिति, हावड़ा
शानदार आठ दशक
यह
श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा अपने शानदार आठ दशक पूर्ण कर भव्य समारोह का आयोजन कर रही है, बहुत ही हर्ष का विषय है। देखते-ही-देखते समय ने किस तरह छलांग मारी। कल की बात सुन रहे हैं कि हमारे पूर्वजों ने अपने समाज के हित के लिए बात सोची। सिर्फ धर्म आराधना के लिए सोचा और शंभु मल्लिक लेन में एक छोटा-सा कमरा भाड़े पर लिया और साधना शुरू कर दी। विचारों में परिवर्तन आया, आगे की सुध-बुध सूझी। यदि यह कमरा मकान मालिक छुड़ा लेगा तो हम कहाँ जायेंगे ? जगह निज की होना चाहिए सिर्फ आराधना ही क्यों बच्चों को संस्कारित कैसे किया जायेगा, उनके पढ़ने की क्या व्यवस्था होगी ? ऐसी सोच आती गयी। सोचते-सोचते जगह सुकियस लेन में ली गई, कमरे बने। उत्साह बढ़ता गया। स्कूल बनाया गया, शिक्षा का क्षेत्र खुल गया। अब उच्च शिक्षा का विचार आया। जैसे-जैसे समाज की जरुरत महसूस होती गई, कार्य बढ़ता गया । मानव सेवा और साथ में समाज के लिए भी योजनाएँ बनती गई, क्रियान्वित होती गई। हावड़ा के बच्चों के लिए स्कूल की आवश्यकता अनुभव हुई और वह भी सम्पन्न हुआ । चिकित्सा का अभाव महसूस किया गया। हॉस्पीटल बन गया। पिछड़े इलाके के उत्थान के लिए मुफ्त पुस्तकों का वितरण, आर्थिक सहायता, रोजगार हेतु
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स्कूलों के लिए कमरे, पंखे, सिलाई मशीनें, टॉयलेट आदि तरह की सहायता जारी है।
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लेकिन यह वट वृक्ष कैसे बना इसके पीछे क्या राज है? यह ध्यान देने योग्य है। सभा यद्यपि छोटी है लेकिन विचारों में और अनुशासन में पीछे नहीं है सेवा भावी और दानशील है। समझ और सहानुभूति वाली है। इसकी नींव ऐसे शुभ समय में हुई कि सब कुछ होता गया। सभा के कार्यकर्त्ता पूर्णरूपेण समर्पित थे। उनमें सभा के प्रति श्रद्धा, विनय, कार्यकुशलता, सूझ-बूझ, उच्चविचार, सहयोग की भावना अनेकान्त वाद तर्कवितर्क की भावना से रहित थे एक-दूसरे का आदर भाव, समय का समायोजन, त्याग भावना थी। इस सभा में कार्यकर्त्ताओं के बीच कभी चुनाव या पद के लिए विचार नहीं हुआ जिसको भी जो पद दिया गया उसने अपने सहयोग और साधन से इसे पूर्ण किया। दूसरे सभी संघों और कार्यकर्ताओं के प्रति सद्भाव और मैत्री का परिचय दिया। सभी का आदर सम्मान किया। आज यह सभा अपने सिद्धान्तों पर पूर्ण रूप से अविचल, उन्नति के शिखर पर है। शिक्षा, आराधना और सेवा के क्षेत्र में अग्रसर है। स्त्री-शिक्षा पर भी पूर्ण सहयोग हो रहा है धर्म के क्षेत्र में पीछे नहीं है।
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जैन विद्यालय का नाम लेते ही बांछें खिल जाती हैं। सीना फूल जाता है। सभा के सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्त्ताओं और विद्यालय के शिक्षकों तथा सदस्यों को सौ-सौ बार बधाई।
हमारा संघ उत्तरोत्तर उन्नति करे, यही शुभकामनाएँ।
संघ के संस्थापक एवं श्री फूसराजजी बच्छावत से लेकर आज तक के संरक्षकों, अध्यक्षों और कार्यकारिणी के सदस्यों को भुलाया नहीं जा सकता। ये सभा के प्रेरणा के श्रोत हैं। सभी शतायु हो, यही मंगलकामना है।
谢谢逸
छ अष्टदशी / 77
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