________________
पुखराज बोथरा
राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री आ० भा० साधुमार्गी जैन संघ, ' • बीकानेर
शुभकामनायें
श्री श्वेताम्बर स्थानकवाशी जैन सभा, कोलकाता अपने स्वर्णिम आठ दशकों की महायात्रा को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर शीघ्र ही नवम्ं दशक में प्रवेश करने जा रही है। यह विशाल यात्रा किसी भी संस्था के लिए एक गौरवमयी उपलब्धि है । इस उपलक्ष्य में हमारे संघ के वरिष्ठ संरक्षक सेवा समर्पित आदरणीय श्री सरदारमलजी कांकरिया के कुशल संयोजकत्व में अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जो कि बड़े ही हर्ष का विषय है ।
शिक्षा, सेवा एवं साधना को समर्पित यह संस्था वास्तव में अपने आप में एक आदर्श रूप है। जैन धर्म के सिद्धान्तों को आत्मसात् करते हुए इस संस्था ने जो प्रगति की है वह गौरवपूर्ण है । कुशल संगठन, उचित प्रबन्ध एवं दूरदर्शितापूर्ण निर्णयों से इस संस्था ने जो मुकाम हासिल किया है वह हर एक संस्था के लिये मात्र एक स्वप्न है। वास्तव में इसके कार्यकर्ताओं ने साथ मिलकर जो कार्य किया है उसी का यह प्रतिफल है कि आज
धनराज बेताला
विकासोन्मुख श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा कोलकाता
इस संस्था की स्थापना सन् १९२८ में श्वेताम्बर स्थानकवासी जैनों के अग्रणी महानुभावों द्वारा सामाजिक गतिविधियों के संचालन हेतु की। तब से यह संस्था अनवरत विकासोन्मुख है। समाज सेवा व शिक्षा के क्षेत्र में इस संस्था द्वारा सम्पादित कार्यों की विशेष प्रतिष्ठा है।
महानगरी कोलकाता में जैन समाज द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में प्रदत्त योगदान ने राजस्थान से आए व्यापारी बन्धुओं को पहचान प्रदान की व बंगाल की जनता के साथ सामंजस्य स्थापित किया। इस संस्था ने अपनी स्थापना के पश्चात् कभी विराम नही लिया बल्कि प्रतिवर्ष कुछ न कुछ सेवा के आयाम बढ़ाते गये । शिक्षा के क्षेत्र में विशेष स्तर इस संस्था ने बनाये रखा। यही कारण है कि इस संस्था से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की विशेष प्रतिष्ठा है। शिक्षा में कीर्तिमान से संस्था विकसित हुई
Jain Education International
यह संस्था अपने गौरवपूर्ण अतीत एवं स्वर्णिम वर्तमान को संजोये हैं।
हुए
परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर १००८ श्री रामलालजी म०सा० द्वारा उच्चारित ये पंक्तियाँ
-
व्यक्ति अकेला निर्बल होता, संघ सबल होता मानें। संघे शक्ति कलोयुगैः की, सत्य भावना पहचानें । ।,
वास्तव में इस संगठन में देखने को मिलती है। इस संस्था में जहाँ सम्यक्दर्शन एवं सम्यकचारित्र को पूर्ण महत्व दिया गया है, वही समाजसेवा, मानवसेवा और स्वधर्मी वात्सल्य को भी पूर्ण स्थान देते हुए यह संस्थान स्थान-स्थान पर विद्यालयों का निर्माण, कम्प्यूटर शिक्षा, चिकित्सालय निर्माण, रोग निदान शिविरों का आयोजन, धार्मिक शिविरों के संचालन सहित अनेक परोपकारी कार्यों में समय के शिलालेख पर अपने सशक्त हस्ताक्षर कर रही हैं।
आज के युग में मनुष्य जहाँ भौतिकता की चकाचौंध में अपने उच्च नैतिकता परक मूल्यों को खोता जा रहा है एवं सद्संस्कारों का निरन्तर ह्रास होता जा रहा है, वहीं यह संस्था अंधियारे में उजियारा बनकर ज्ञान की ज्योति फैलाने का कार्य कर रही है। संस्था के इस अमृत महोत्सव के मंगल आयोजन के अवसर पर मेरी ओर से आर्दिक शुभकामनाएँ ।
इसके साथ श्री जैन विद्यालय हावड़ा, श्री हरखचंद कांकरिया जगतदल, सुदूरवर्ती कई गाँवों में कम्प्यूटर केन्द्र स्थापित कर शिक्षा के क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त की। साथ ही अभी-अभी हरखचन्द तारादेवी स्नातकीय कॉलेज प्रारंभ हो गया है।
इसी संस्था ने विशेष रूप से रोवा समर्पित श्रीमान् सरदारमलजी सा कांकरिया व उनके सहयोगियों के प्रयत्नों व प्रेरणा से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में श्री सुन्दरलाल दूगड़ चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से डेंटल कॉलेज, श्री सोहनलालजी कमलादेवी सिंघवी कॉलेज ऑप एज्युकेशन व अन्याय संस्थाओं के कार्य प्रस्तावित हैं।
इसी संस्था के प्रयत्नों से श्री जैन हास्पिटल एवं रिसर्च सेन्टर हावड़ा स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सर्वोत्तम है। इस संस्था के कारण ही चिकित्सीय क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा कम से कम व्यय में हो पायी है।
ऐसी जैन संस्था ने अपने कार्य कलापों से सम्पूर्ण जैन समाज को गौरवान्वित किया है। आप स्मारिका प्रकाशित कर रहे हैं एतदर्थ हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ स्वीकारें ।
नोखा, जिला- बीकानेर
अष्टदशी / 70
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org