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________________ केशरीचन्द सेठिया जैन सभा कोलकाता के अष्ट स्वर्णिम दशक श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा, कोलकाता७००००१ कलकत्ता की एक अति प्राचीन संस्था है। इसके यशस्वी कार्यकलापों के कीर्तिमान से इतिहास के पन्ने साक्षी हैं। किसी भी संस्था के लिए आठ दशक से भी अधिक का काल एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है वर्षों पहले समाज के बुजुर्ग श्रावकों ने धार्मिक क्रिया करने के लिए एक स्थान किराये पर लिया एवं वहां एकत्रित होकर धार्मिक, सामाजिक गतिविधियां चलाने लगे। धीरे-धीरे अनेक कार्यकर्ता जुड़ते चले गये। 1 छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक पाठशाला का शुभारंभ किया। पाठशाला ने समय के साथ उच्च क्लासों का स्कूल का, कालेज का रूप ले लिया। मुझे याद है मैं किशोर अवस्था में था, उस समय पिताजी स्व० श्री जेठमलजी सेठिया के पास हमारी लाल कोठी की गद्दी में बदनमलजी बांठिया, अजीतमलजी पारख, क्रान्तिकारी फूसराजजी बच्छावत आदि अनेक अग्रणी समाजसेवी सलाह मशविरा करने अक्सर आया करते थे। समय के साथ-साथ नये युवा कार्यकर्ता आगे आए और बुजुर्गों द्वारा बोया हुआ वह पौधा एक विशाल वृक्ष के रूप में अपनी शाखाएँ, प्रति शाखाएँ फैलाता गया। हाई स्कूलों, Jain Education International कालेजों की साख इतनी बढ़ी कि एडमीशन के समय कार्यकर्ताओं के लिए एक समस्या बन जाती है। मेरा ऐसा मानना है कि किसी संस्था की उन्नति उसके योग्य कार्यकर्ताओं पर निर्भर करती है। परिणामस्वरूप इसकी शाखाएं हावड़ा आदि में फैल गयी। श्री सरदारमलजी कांकरिया एक श्रमशील, कर्मठ कार्यकर्ता ही नहीं नेतृत्व करने की क्षमता भी रखते हैं। श्री रिखबदासजी भंसाली, रिद्धकरणजी बोथरा, स्व० सूरजमलजी बच्छावत, जयचंदलालजी मिन्नी आदि अनेक समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने कंधे से कंधा मिलाकर इस सभा के विभिन्न कार्यों को उच्च शिखर पर पहुंचाया। मुझे स्मरण है एक बार श्री सरदारमलजी कांकरिया मद्रास आए थे, यह उनका स्नेह है कि मद्रास में मिले बिना नहीं जाते। हमारी बिल्डिंग एटकिन्सन पेलेस के नीचे ही राजस्थान यूथ एसोसिएशन का कार्यालय है। हम उसके माध्यम से बुक बैंक चलाते हैं । जिसमें गरीब ५००० से भी अधिक जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को उनके कोर्स की किताबें दी जाती हैं। मैंने उन्हें इस स्कीम को ले जाकर बताया। उन्हें यह कार्य बहुत पसंद आया और कहा कि हम कलकत्ता में भी इस शुभारंभ करेंगे। बाद में पता चला कि उन्होंने अपने सहयोगियों के सहयोग से इस स्कीम को प्रारंभ कर दिया। सभा के बहुआयामी कार्यों में यह भी एक महत्वपूर्ण कार्य जुड़ गया। यह सभा केवल शैक्षणिक कार्य तक सीमित नहीं रही, चिकित्सा के क्षेत्र में भी अनेक सेवाकार्य जोड़ रही है। यहाँ अभी हार्ट ऑपरेशन जैसी दुर्लभ चिकित्सा सेवाएं भी उपलब्ध हैं। यह हर्ष व गौरव की बात है कि संस्था अमृत महोत्सव मनाने जा रही है । यह संस्था और भी शिखर की अनेक ऊँचाइयों पर पहुँचे, ऐसी मंगल कामना है। एटकिन्सन पेलेस, चेन्नई ० अष्टदशी / 690 For Private & Personal Use Only *** www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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