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शिक्षा, सेवा और साधना
रिधकरण बोथरा
मैं स्वतंत्र निर्णय ले सकता हूँ पर सारे कार्य आपसे सलाह करके उपसभापति, श्री श्वे० स्था० जैन सभा
ही करना चाहता हूँ। अभी हमारी सभा में इसी परम्परा का निर्वाह बड़े प्रेम व सौहार्द के साथ किया जाता है।
मेरी बड़ी लड़की का विवाह था। उससे ३ दिन पूर्व भारत के प्रधानमंत्री माननीय राजीव गाँधी की हत्या हो गई थी, पूरे भारतवर्ष में एक तनाव का वातावरण था। बारात रायपुर से आने वाली थी। हमारे समाज के इन कर्णधारों ने प्रति घंटा रायपुर से सम्पर्क किया व जब बारात हावड़ा स्टेशन पर पहुँची मेरे परिवार का एक भी सदस्य स्टेशन पर नहीं था - समाज के इन्हीं कर्णधारों ने बारात का स्वागत ही नहीं वरन् उस तनाव के वातावरण में मेरी लड़की के विवाह में पूर्ण सहयोग कर अच्छी तरह से बारात को बिदा किया।
हमारी सभा के ये अग्रज श्री सरदारमलजी कांकरिया, श्री रिखबदासजी भंसाली, भाई विनोदजी मिन्नी व स्वर्गीय भंवरलालजी कर्णावट सभा के कार्यकर्ताओं के सुख-दुःख ही नहीं वरन् किसी भी तकलीफ, कष्ट के निवारण में यथासाध्य सहयोग करके एक संबल प्रदान करते हैं। कार्यकर्ता अपने को कभी भी अकेला महसूस नहीं करता, जरुरत पड़ने पर पूरा
समाज उसके साथ है। ऐसे कई उदाहरण मुझे देखने को मिले श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा ने सेवा, शिक्षा व
हैं। हमारी सभा में सब तरह के प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति हमें देखने साधना जैसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति करते हुए अपने जीवन
में मिलते हैं- नीवं के पत्थर श्री राधेश्यामजी मिश्रा, श्री हनुमान के ७९ वर्ष पूर्ण कर ९ दशक में प्रवेश कर लिया है। आगे
नाहटा जो सभा को ही अपना घर मानते हैं। हमारे विद्यालय के भी शिक्षा के क्षेत्र में टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल, नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल व
शिक्षकों में यही भाव नजर आता है। वे विद्यालय को अपना कॉलेज तथा डेन्टल मेडिकल कॉलेज जैसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों
विद्यालय मानते हैं एवं विद्यालय की उन्नति के लिये इसी कारण की पूर्ति में लगी हुई है। किसी भी सभा व संस्था के प्राण इसके
प्रतिपल कर्तव्यनिष्ठ रहते हैं। कार्यकर्ता होते हैं। श्री फूसराजजी बच्छावत जैसे इनके साहसिक कार्यकर्ताओं में भाई किशोरकुमार कोठारी संस्थापक कार्यकर्ता ने निस्वार्थ भाव से इस सभा की सेवा कर सामने हैं- प्रतिकूल परिस्थितियों में भी समभाव से कार्यों को पूर्ण इसे गौरवान्वित किया। अभी वर्तमान में कोलकाता म्युनिसिपल करते हैं। इस अवसर पर उदारमना, दानवीर सेठ श्री कॉरपोरेशन ने सुकियास लेन का नाम परिवर्तन कर फूसराज
सुन्दरलालजी दुगड़ के अभिनन्दन का कार्यक्रम भी रखा है। बच्छावत पथ रख कर एक कार्यकर्ता को सम्मान दिया - इस सरल स्वभावी, स्पष्ट वक्ता, उदार हृदय श्री दुगड़जी ने सेवा व हेतु उस समय के माननीय मेयर श्री सुब्रतो मुखर्जी साहब व रोड शिक्षा व साधना के क्षेत्र में खुले हाथ व हृदय से अपार राशि पूरे रिनेमिंग कमिटी के चेयरमेन, पूर्व शिक्षा मंत्री श्री प्रतापचंदर भारतवर्ष में जगह-जगह दी है। श्री जिनेश्वर देव से यही प्रार्थना चंदर साहब को धन्यवाद देना चाहता हूँ। श्री बच्छावत की __ है कि श्री दुगड़जी स्वस्थ रहें, प्रतिदिन प्रगति करते हुए समाज कार्यप्रणाली व उनके बताए रास्ते पर वर्तमान में इनके की सेवा इसी तरह करते रहें। कार्यकर्ता इस सभा को आगे बढ़ाते जा रहे हैं।
किसी भी सभा या संस्था की सफलता व असफलता का विगत तीन दशक से मैं भी इस सभा से जुड़ा हुआ हूँ। रहस्य उसके कार्यकर्ताओं के बीच पारस्परिक विश्वास, सहयोग मेरे अनुभवों का थोड़ा-सा हिस्सा मैं आपके सम्मुख रख रहा हूँ।
की भावना और वैचारिक सामन्जस्य पर ही निर्भर होता है। हमारी सन् १९८६ में श्री जैन विद्यालय, कलकत्ता का मंत्री था। मैं यह सभा अक्षरश: इन तथ्यों पर चल रही है। श्री जिनेश्वर देव से प्राय: कार्य पूर्व मंत्री श्री सरदारमलजी कांकरिया से पूछ कर ही यही प्रार्थना है कि सभा का यह रूप मूर्तिमान रहे और इसी तरह कार्य करता था। इसके दो तीन साल बाद एक दिन उन्होंने मुझे पूछ करते-करते इसकी यशोगाथा को बढ़ाते हुए शताब्दी वर्ष मनाए। लिया कि क्या आप स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते? मैंने कहा,
० अष्टदशी / 580
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