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हुआ। इस अवसर पर सभा के कर्णधारों ने सभा की प्लेटिनम जुबिली तक उच्चस्तरीय अध्ययन हेतु एक कॉलेज के निर्माण का संकल्प लिया। आचार्य श्रीजी म० सा० ने सभा की मानवसेवी एवं जन-कल्याणकारी प्रवृत्तियों की मुक्त कंठ से सराहना करत हुए कहा कि इस विद्या मान्दर म आकर म स्वय धन्य हो गया हूँ। आशीर्वाद स्वरूप आचार्य श्री द्वारा सभा के प्रति व्यक्त भाव अत्यन्त मार्मिक और भावाकूल थे। अस्वस्थता के बावजूद भी आचार्य श्री सभाभवन में पधार कर महती अनुकम्पा की। डॉक्टरों के पूर्ण आराम की सलाह देने पर भी आप अपनी इच्छा शक्ति के बल पर पधारे। उनका आशीर्वाद हमारा संबल एवं पाथेय है। इसका सफल संचालन श्री भूपराजजी जैन ने किया। ग्रामीण विकास योजना : इस योजना के तहत प्रतिवर्ष की भांति बेरोजगार ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना से बिनाव्याज लोन मेदिनीपुर की फुलसीटा निवारण सेवा ट्रस्ट के माध्यम से ६ माह हेतु दिया गया। प्रति वर्ष एक लाख रुपया इस योजना अन्तर्गत दिया जाता है। इसके संयोजक स्वनाम धन्य श्री सरदारमलजी कांकरिया हैं। संस्था की सफलता इसके कार्यकर्ताओं के सामंजस्य, एक जुटता, सहिष्णुता एवं कार्यदक्षता पर निर्भर करती है। सभा के पास ऐसे कार्यकर्ता है जो पूर्ण मनोयोग एवं निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य करते हैं। वे ही संस्था के भविष्य की आशा-आकांक्षा हैं। सभा के लोक कल्याणकारी कार्यों से जनता को अवगत कराने के लिए दैनिक पत्रों विश्वमित्र, जनसत्ता, सन्मार्ग, राष्ट्रीय महानगर छपते-छपते एवं पाक्षिक श्रमणोपासक का योगदान श्लाघनीय एवं प्रशंसनीय है। 'दो शतक तक यह कार्य मैने पूर्णत: स्वान्तः सुखाय किया है। समाज द्वारा प्रदत्त स्नेह सहयोग एवं सम्मान के लिए मै आभारी हूँ। विवेकानन्द के इन शब्दों के साथ - First learn to obey, Command will come automatically कार्य संपादन में रही हुई त्रुटियों की क्षमा याचना के बाद मंत्री ने कन्सोलिडेटेड आय व्यय का लेखा सदन पटल पर रखा जो गहन मंत्रणा पूर्वक सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। सभा के आगामी कार्यकाल के सुचारु संचालन हेतु निम्न महानुभवों पदाधिकारियों के रुप में सर्व सम्मति से निर्वाचन किया गया। विश्वस्त मंडल - १. श्री सरदारमलजी कांकरिया, २. श्री माणकचंदजी रामपुरिया, ३. श्री रिखबदासजी भंसाली एवं ४. श्री बालचंदजी भूरा।
पदाधिकारीगण : अध्यक्ष श्री बच्छराजजी अभाणी, उपाध्यक्षश्री रिधकरणजी बोथरा, मंत्री-श्री विनोदजी मिन्नी, सहमंत्री-श्री अशोकजी बोथरा एवं श्री किशोरकुमारजी कोठारी, कोषाध्यक्षश्री पारसमलजी भूरट। कार्यकारिणी सदस्य : २१ सदस्यों का निर्वाचन सर्वसम्मति से हुआ। १. श्री जयचंदलालजी मिन्नी, २. श्री किशनलालजी बोथरा, ३. श्री मोहनलालजी भंसाली, ४. श्री सोहनराजजी सिंघवी, ५. श्री सुरेन्द्रकुमारजी बाँठिया, ६. श्री भंवरलालजी दस्साणी, ७. श्री पन्नालालजी कोचर, ८. श्री फागमलजी अभाणी, ९. श्री सुन्दरलालजी दुगड़, १०. श्री शांतिलालजी कोठारी, ११. श्री अशोककुमारजी मिन्नी, १२. श्री शांतिलालजी डागा, १३. श्री सुभाषजी कांकरिया, १४. श्री महेन्द्रजी कर्णावट, १५. श्री सुभाषजी बच्छावत, १६. श्री ललितजी कांकरिया, १७. श्री अरुणजी मालू, १८. श्री चन्द्रप्रकाशजी डागा, १९. श्री निश्चलजी कांकरिया, २०. श्री पंकजजी बच्छावत एवं २१. श्री राजेन्द्रजी नाहटा स्थायी आमंत्रित सदस्य : समय-समय पर उपयोगी सुझाव देने हेतु २५ स्थायी आमंत्रित निम्न सदस्य सर्वानुमति से घोषित किये गये१. श्री सोनहलालजी गोलछा, २. श्री खड़गसिंहजी बैद, ३. श्री कुन्दनमलजी बैद, ४. श्री जयचन्दलालजी रामपुरिया, ५. श्री भंवरलालजी बैद, ६. तनसुखराजजी डागा, ७. श्री चाँदमलजी अभाणी, ८. श्री विनोदजी कांकरिया, ९. श्री हस्तीमलजी जैन, १०. श्री कंवरलालजी मालू, ११. श्री कमलसिंहजी कोठारी, १२. श्री कमलसिंहजी भंसाली, १३. श्री गोपालचंदजी बोथरा, १४. श्री माणकचंदजी गेलड़ा, १५. श्री अजयकुमारजी डागा, १६. श्री गोपालचंदजी भूरा, १७. श्री जवाहरलालजी कर्णावट, १८. श्री गौतमचंदजी कांकरिया, १९. श्री सुरेन्द्रजी दफ्तरी, २०. श्री अजयकुमारजी बोथरा, २१. श्री राजेन्द्रकुमारजी बुच्चा, २२. श्री सुरेशकुमारजी मिन्नी, २३. श्री कमलकुमारजी कर्णावट, २४. श्री सुशीलकुमारजी गेलड़ा एवं २५. श्री सुरेन्द्रकुमारजी सेठिया। सभा की विभिन्न प्रवृत्तियों के सुचारु संचालन हेतु निम्न महानुभावों का संयोजक एवं सह-संयोजक पद के लिए सर्वसम्मति से चुनाव हुआ।
श्री जैन बुक बैंक संयोजक
श्री सुभाषजी बच्छावत सहसंयोजक
श्री अजयकुमारजी डागा
० अष्टदशी / 340
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