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________________ सभा ने डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी को शॉल एवं गणेशजी की नयनाभिराम प्रतिमा प्रदान पर सम्मानित किया। इस अवसर पर शिक्षा, सेवा और साधना की सात दशकीय भव्य स्मारिका का लोकार्पण भी डॉ. सिंघवी ने किया। इस आकर्षक, संग्रहणीय एवं पठनीय स्मारिका की मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई। इसके प्रधान संपादक श्री भूपराजजी जैन को भी शॉल, स्मृति चिन्ह एवं इक्यासी हजार की राशि प्रदान कर सभा ने सम्मानित किया। सुप्रसिद्ध साहित्य मनीषी एवं कविवर श्री कन्हैयालालजी सेठिया ने अपनी स्वरचित काव्य रचना भेंटकर श्री भूपराजजी को आशीर्वाद प्रदान किया श्री सेठियाजी ने अपनी कविता में श्री भूपराजजी को नींव का पत्थर निरूपित किया जिसको इतिहास विस्मृत कर देता है। 1 इसे सर्वाग सुन्दर बनाने में श्री पदमचंजी नाहटा का परिश्रम नितान्त उल्लेख्य है। इस कार्यक्रम के संयोजक श्री विनोदजी कांकरिया थे। हावड़ा जोधपुर सुपर फास्ट ट्रेन को लिंक ट्रेन के रूप में बीकानेर तक आगे बढ़ाने में इस योजना के संयोजक श्री अजयजी डागा एवं सहयोगी श्री भूपराजजी जैन तथा बालकृष्ण हर्ष का सहयोग साधुवाद का पात्र है। १५ सितम्बर, १९९८ को सहयोगी संस्था विचार मंच के समारोह में महाकवि स्वयंभू द्वारा रचित पउमं चरित्रं पर डॉ. किरण सिपानी द्वारा लिखित शोध ग्रन्थ 'पउम चरित्र अनुशीलन' का लोकार्पण किया गया। सभा के व्यय द्वारा यह ग्रंथ प्रकाशित किया गया था सभा ऐसे शोध ग्रंथों एवं शोधकर्ताओं को अत्यन्त महत्व देती है। " इस वर्ष सभा परिवार को भी श्री जयचन्दलालजी मिन्नी के सुपौत्र अजय मित्री श्री रिखवदास भंसाली के सुपुत्र श्री राजा बाबू की धर्मपत्नी श्री हीरालालजी बच्छावत के सुपौत्र श्री हेमन्त बच्छावत के स्वल्पायु में आकस्मिक स्वर्गवास का बज्राघात सहन करना पड़ा। सभा ने दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए चिरशांति के लिए शासनदेवी से प्रार्थना की, साथ ही शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। सभा के प्रचार-प्रसार में सहयोग देने वाले कोलकाता के दैनिक पत्रों- सन्मार्ग विश्वमित्र, जनसत्ता, छपते-छपते, महानगर के प्रति भी अपना धन्यवाद ज्ञापित किया। इसी श्रृंखला में विद्यालय, अस्पताल एवं सभा के उत्साही सदस्यों के प्रति भी आभार प्रकट किया। मंत्रीजी ने १९९७-१९९८ का अंकेक्षित आय-व्यय का लेखा-जोखा सदन के पटल पर रखा जो गंभीर विचार-विमर्श Jain Education International के बाद सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया। आगामी वर्ष के ऑडिट के लिए भी मेसर्स के. एस. बोथरा एण्ड कं. की नियुक्ति सर्वसम्मति से की गई। कार्य संपादन में रही हुई त्रुटि के लिए मंत्रीजी द्वारा क्षमा याचना करने एवं अध्यक्ष महोदय के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के बाद जयनाद के साथ सभा की बैठक सम्पन्न घोषित की गई । सभा की साधारण वार्षिक बैठक दिनांक १८ जुलाई, १९९९ को प्रातः काल १० बजे उपाध्यक्ष श्री बच्छराजजी अभाणी की अध्यक्षता में सभा भवन में आयोजित की गई । श्री चांदमलजी अभाणी के मंगलाचरण के पश्चात् मंत्री महोदय ने गतवर्ष का वार्षिक विवरण सभा के सम्मुख प्रस्तुत किया जो सभासदों के विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ । शिक्षा : श्री जैन विद्यालय कोलकाता में सम्प्रति २९०० छात्र वाणिज्य एवं विज्ञान विभाग में कक्षा २ से १२ तक अध्ययरत हैं। इस वर्ष माध्यमिक परीक्षा में २१६ छात्र प्रविष्ट हुए। परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। उच्चतर माध्यमिक में ४४५ छात्र सम्मिलित हुए। परीक्षा फल शत-प्रतिशत रहा। गतवर्ष की तुलना में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, यह संतोष एवं गर्व की बात है अध्यक्ष श्री सोनहराजजी सिंघवी एवं मंत्री श्री विनोदचंदजी कांकरिया का मार्गदर्शन सभा के साधुवाद की अपेक्षा रखता है। श्री जैन विद्यालय हावड़ा के माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक का परीक्षा फल शत-प्रतिशत रहा है। गर्ल्स विभाग के माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक में क्रमश: १३२ एवं १८० छात्राएँ सम्मिलित हुई। यहाँ पूर्वापेक्षया प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाली छात्राओं की संख्या में अभिवृद्धि हुई है। यह संतोषजनक एवं उत्साहवर्द्धक है। प्रधानाचार्या श्रीमती ओलगा घोष एवं शिक्षिकाओं का उच्चस्तरीय अध्यापन साधुवाद की अपेक्षा रखता है। श्री जैन विद्यालय फॉर ब्वॉयज विभाग के माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में क्रमशः १८४ एवं १७४ छात्र सम्मिलित हुए। परीक्षा फल शत-प्रतिशत रहा। यहाँ भी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या में गतवर्ष की तुलना में बढ़ोतरी हुई जो विद्यालय की प्रगति, अनुशासन एवं उच्चस्तरीय शिक्षण का प्रतीक है। श्री जैन विद्यालय हावड़ा के अध्यक्ष श्री सुन्दरलालजी दुगड़, उपाध्यक्ष श्री सुरेन्द्रकुमारजी बांठिया एवं मंत्री श्री ० अष्टदशी / 27 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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