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________________ श्री जैन विद्यालय हावड़ा के ब्वॉयज एवं गर्ल्स विभाग में माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में क्रमश: १४२ छात्र, .११७ छात्राएँ तथा १७७ छात्र एवं १५९ छात्राएँ सम्मिलित हुए। परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। बालिका विभाग की माध्यमिक परीक्षा में ९ छात्राओं को स्टार मार्क्स प्राप्त हुए। ब्वॉयज विभाग की माध्यमिक परीक्षा में १४ छात्रों ने स्टार मार्क्स प्राप्त कर विद्यालय का गौरव बढ़ाया। इन विद्यालयों की प्रबन्ध समिति एवं शिक्षक वृन्द के परिश्रम से हावड़ा अंचल में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है। सभा का सबको साधुवाद। श्री जैन शिल्प शिक्षा केन्द्र : राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय रेगुलर शिक्षा प्राप्त न करने वाली छात्राओं के लिये यह वरदान स्वरूप है। माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक का सभा भवन में शनिवार एवं रविवार को अध्यापन कराया जाता है। उसके मंत्री श्री ललितकुमार कांकरिया, प्रधानाचार्य श्री भूपराजजी जैन एवं को-ऑर्डिनेटर श्री राधेश्याम मिश्र हैं। श्री जैन बुक बैंक : पश्चिम बंगाल के ग्रामीण अंचल के छात्र-छात्राएँ इससे सर्वाधिक लाभान्वित हैं। आलोच्य सत्र में ८२ विद्यालयों के १४४९ छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम की समस्त पुस्तकें नि:शुल्क वितरित की गई। पुन: वितरण परियोजना के अन्तर्गत ३९५५ विद्यार्थियों को पुस्तकें प्रदान की जा चुकी हैं। कुल ५१४३ छात्र-छात्राआँ इससे लाभान्वित हुए हैं। सन् १९९२ में संचालित इस योजना के अन्तर्गत २६२ स्कूल, कॉलेजों के माध्यम से स्नातकीय एवं स्नातोकतर १९००० छात्र-छात्राओं को इससे लाभ प्राप्त हुआ है। मेदिनीपुर अंचल के एक कॉलेज के प्राचार्य से ज्ञात हुआ कि इस परियोजना से लाभान्वित एक छात्र ने ८६ प्रतिशत अंक अर्जित कर इसकी सार्थकता सिद्ध की है। ७ शिक्षा संस्थानों में बुक बैंक स्थापित किये जा चुके हैं। इसी परियोजना से लाभान्वित एक छात्र सत्य स्मरण अधिकारी आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त कर डॉक्टर बन गया है। यह गौरव एवं संतोष का विषय है। ___इसी योजना के अन्तर्गत सभा ने उत्तर चौबीस परगना के मसलदपुर भूदेवी स्मृति बालिका विद्यालय को ३७,००० रुपये एवं प्रफुल्लनगर बालिका विद्यालय को २०,००० रुपये शौचालय निर्माण हेतु प्रदान किये हैं। जीर्णशीर्ण भवनों के जीर्णोद्धार के लिए भी सभा मुक्त हस्त से सहयोग करती है। __ श्री परियोजना के संयोजक श्री सुभाष बच्छावत, सहयोगी श्री सुशीलजी गेलड़ा, श्री अजयजी बोथरा एवं पूरी टीम का परिश्रम अत्यन्त सराहनीय है जिसके कारण यह परियोजना अत्यधिक लोकप्रिय हो रही है। श्री जैन हॉस्पीटल एण्ड रिसर्च सेन्टर हावड़ा : अनेक शहादतों, बलिदानों एवं त्याग तपस्या से प्राप्त आजादी की स्वर्ण जयन्ती पर स्थापित इस औषधालय में दिसम्बर माह में इन्डोर विभाग भी प्रारम्भ हो गया। आलोच्य वर्षों में दान-दाताओं के सहयोग से ऑपरेशन थियेटर, डेन्टल विभागों का लोकार्पण हुआ। निम्न एवं मध्यवित्त के लोगों के लिए यह हॉस्पीटल वरदान साबित हुआ है क्योंकि यहाँ अत्यन्त कम शुल्क में रोग का परीक्षण, निदान और चिकित्सा की जाती है। हॉस्पीटल की प्रथम वर्षगाँठ १५ अगस्त १९९८ के उपलक्ष्य में प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाज सेवी श्री छोटूलालजी नाहटा के करकमलों से सिलाई मशीनें, पोलियो केलीपर, कृत्रिम अंग, सिलाई मशीनें आदि का नि:शुल्क वितरण किया गया। आउटडोर विभाग में १५० रोगी प्रतिदिन लाभान्वित होते हैं। इन्डोर विभाग में १०० से १२५ रोगी परिचर्या हेतु भर्ती होकर अस्पताल की सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। इसके मंत्री श्री सरदारमल कांकरिया पूर्णत: इस सेवा मन्दिर के लिए समर्पित हैं। इसके अध्यक्ष श्री हरकचंदजी कांकरिया, उपाध्यक्ष श्री श्रीचंदजी नाहटा एवं श्री भंवरलालजी कर्णावट हैं। मेडिकल ऑफीसर हैं डॉ. श्री गांगुलीजी। कुछ मशीनों की बेहद आवश्यकता के कारण हमारे कार्यकर्ता दानदाताओं से सम्पर्क कर रहे हैं। शीघ्र ही इनकी पूर्ति की संभावना है। आयुर्वेद एवं होमियोपैथिक विभाग यहाँ खोलने पर विचार कर रहे हैं। श्री प्रदीपजी कुंडलिया से ग्यारह लाख रुपयों का अनुदान प्राप्त हुआ एतदर्थ हार्दिक आभार। सभा की शिक्षा, सेवा और साधना की सप्तदशकीय यात्रा: शिक्षा, सेवा और साधना की मूर्तिमंत प्रतीक सभा की सप्तदशकीय लोक-कल्याणकारी कर्म संकुल जीवन-यात्रा की समाप्ति के उपलक्ष्य में कलकत्ता के विशाल साइंस सिटी सभागार में भव्य समारोह का आयोजन हुआ। अन्तर्राष्ट्रीय संविधान विशेषज्ञ एवं लब्ध प्रतिष्ठ विधिवेता डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने विशिष्ट अतिथि पद से संबोधित करते हुए कहा कि संवेदना से करुणा पैदा होती है और करुणा सेवा की मूल है और यह सभा करुणा का साकार रूप है। लोक-कल्याण के जितने कार्य सभा ने संपादित किये हैं, वह भावी पीढ़ी के लिए ऐसी विरासत है जिस पर युगों तक गर्व किया जा सकता है। ० अष्टदशी / 260 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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