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________________ श्री सरदारमल कांकरिया श्री जयचंदलाल मिन्नी अध्यक्ष उपाध्यक्ष मंत्री सह-मंत्री सह-मंत्री कोषाध्यक्ष श्री सूरजमल बच्छावत श्री बालचन्द भूरा श्री फागमल अभाणी श्री मोहनलाल भंसाली श्री पारसमल भूरट श्री सोहनराज सिंघवी श्री सुभाष बच्छावत श्री शान्तिलाल डागा श्री महेन्द्र कर्णावट श्री किशोर कोठारी : श्री रिखबदास भंसाली श्री बच्छराज अभाणी : श्री रिधकरण बोथरा श्री कंवरलाल मालू श्री अशोक मिन्नी श्री भंवरलाल दस्साणी : : Jain Education International ट्रस्टी 3 श्री माणकचंद रामपुरिया श्री भंवरलाल कर्णावट सदस्य श्री जयचन्दलाल रामपुरिया श्री केशरीचन्द गेलड़ा श्री ललित कांकरिया श्री किशनलाल बोथरा श्री सुन्दरलाल दुगड़ श्री सुरेन्द्र बांठिया श्री विनोदचंद कांकरिया श्री अशोक भंसाली श्री लूणकरण भंडारी श्री अरुण मालू श्री विनोद मिन्नी दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में बहुप्रतीक्षित एवं अभिलषित इन्डोर विभाग के लोकार्पण के साथ ही विभिन्न वार्डों और विभागों की जो श्रृंखला प्रारम्भ हुई वह अविछिन्न रूप से अभी भी चल रही है। सभा की सेवा के बहुआयामी क्षेत्र में इस नये आयाम के लोकार्पण ने सभा के इतिहास में एक नये अध्याय का सूत्रपात किया है जो स्वर्णाक्षरों में सदा-सदा के लिए अंकित रहेगा और एक आलोक स्तम्भ की तरह सभा की युवा पीढ़ी को अंकुठ भाव से सेवा और साधना के क्षेत्र में निस्पृह रूप से तल्लीन होकर कार्य करने का न केवल मार्गदर्शन देगा अपितु प्रेरणा भी प्रदान करेगा। इक्कीसवी शताब्दी में प्रवेश करने के लिए हमारी युवा पीढ़ी को प्रस्तुत होना है और इस पीढ़ी ने सेवा का जो यह दीप प्रज्ज्वलित किया है उसे अपने स्नेह से परिपूरित रखकर निरन्तर ज्योतित करते रहना है। सभा अपने यशस्वी जीवन के ७० वर्ष पूर्ण कर ७१ वें वर्ष में प्रवेश करने को समुत्सुक है। सात दशक की इस सेवामयी कार्ययात्रा की सम्पूर्ति के उपलक्ष्य में कलकत्ता के नवनिर्मित भव्य एवं विशाल साइंस सिटी सभागार में समारोह आयोजित किया गया, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संविधान, विशेषज्ञ, राज्यसभा सदस्य एवं ग्रेट ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त स्वनामधन्य डॉ० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के साथ कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रो० संतोष भट्टाचार्य एवं अन्य गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति में यह समोराह ६ सितम्बर' ९८ को अनुष्ठित हुआ । इस समारोह के संयोजन का भार श्री बिनोदचंद कांकरिया को दिया गया था। इसी अवसर पर 'सेवा, शिक्षा और साधना के सात दशक' नामक स्मारिका ग्रंथ का लोकार्पण भी किया गया, जिसमें सुरुचि एवं विद्वतापूर्ण लेखों के अलावा सभा की विभिन्न सेवापरक और लोकोपकारी प्रवृत्तियों की चित्रों के माध्यम से कहानी को जीवंतता प्रदान करने का प्रयास किया गया है। यह ग्रंथ पठनीय एवं संग्रहणीय रहा एवं बहुप्रशंसित हुआ। इस ग्रंथ के सम्पादन में सम्पादक मंडल के सहयोगियों के साथ श्री भूपराज जैन एवं श्री पद्मचन्द नाहटा ने इसे सर्वांग सुन्दर एवं पठनीय बनाने का जो अथक प्रयास किया, वह श्लाघनीय है। इस अवसर पर डा० लक्ष्मीमल सिंघवी एवं श्री भूपराज जैन का उनकी बहुमूल्य सेवाओं के उपलक्ष्य में सभा की ओर से अभिनन्दन किया गया। ध्यातव्य : श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा की इतिहास कथा जो सभा की हीरक जयन्ती स्मारिका में पृष्ठ ५ पर प्रकाशित है। इसमें जैन विद्यालय की स्थापना शीर्षक के अन्तर्गत दूसरी पंक्ति में मुद्रित "मात्र दो छात्रों को लेकर इस विद्यालय का श्री गणेश हुआ, जिसमें एक श्री सोहनलाल गोलछा थे" के स्थान पर " मात्र एक छात्र को लेकर विद्यालय का श्री गणेश हुआ जो श्री सोहनलाल गोलछा थे" पढ़ा जाए। इस प्रकार श्री सोहनलाल गोलछा इसके प्रथम छात्र थे । दिनांक २० दिसम्बर १९९३ को सभा अध्यक्ष श्री रिखबदासजी भंसाली की अध्यक्षता में सभा भवन में वार्षिक साधारण सभा की बैठक हुई। मंगलाचरण के पश्चात् मन्त्रीजी ने गत बैठक का कार्य विवरण प्रस्तुत किया जो विचार विमर्श के बाद सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया। शिक्षा : श्री जैन विद्यालय कोलकता से माध्यमिक परीक्षा एवं उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में क्रमश: २३७ एवं ४६२ छात्र सम्मिलित हुए। परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। प्रबन्ध समिति के पदाधिकारी, शिक्षकगण उत्साहपूर्वक छात्रों के सर्वांगीण विकास में जुटे हुए हैं। ० अष्टदशी / 250 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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