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________________ जैन दर्शन के उद्भट विद्वान श्री गणेश ललवानी हालांकि जैन भवन में कार्यरत थे किन्तु इस सभा से उनका गहरा लगाव था एवं समय-समय पर उनसे सभा को भरपूर सहयोग मिलता रहा । ४ जनवरी' ९४ को उनका पार्थिव शरीर चिर निद्रा में लीन हो गया। इस समाचार से सभा के पदाधिकारीगण एवं सदस्यगण को गहरा आघात लगा व उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सन् १९९४ श्री जैन विद्यालय, कलकत्ता का ौरक जयन्ती वर्ष था। इसके उपलक्ष्य में अखिल भारतीय स्तर पर मुद्रा एवं डाक टिकट संग्रह प्रतियोगिता "जैनपेक्स' ९४" का आयोजन किया गया। इसके संयोजक श्री इन्द्रकुमार कठोतिया थे । स्काउट मेल एवं कबूतर डाक प्रणाली प्रदर्शन इसका मुख्य आकर्षण रहा। इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री सुभाष चक्रवर्ती, प० बं० सरकार एवं श्री रिखबदास भंसाली ने कबूतरों को डाक के साथ उड़ाकर इस आयोजन का उद्घाटन किया। विद्यालय की हीरक जयन्ती का मुख्य समारोह २५ दिसम्बर १९९४ को नेताजी इन्डोर स्टेडियम में आयोजित किया गया। इसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य चुनाव आयुक्त श्री टी०एन० शेषन ने पधार कर समारोह की गरिमा को चार चांद लगाए। इसी अवसर पर प्रमुख अतिथि संसद सदस्या श्रीमती रेणुका चौधरी की उपस्थिति ने समारोह को सफल बनाने में अहम् भूमिका निभायी। सेवा की मूर्ति, बच्चों के प्रति अपार प्रेम रखनेवाली श्रीमती विमला मिन्नी का २४.४.९५ को असामयिक निधन हो गया । कैंसर से पीड़ित होते हुए भी इन्होंने जो सेवाएँ सभा को अर्पित की उसके लिए सभा सदैव उनकी आभारी रहेगी। सभा ने हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित कर स्वर्गस्थ आत्मा की चिरशान्ति की कामना की। जुलाई' ९५ में श्री जैन बुक बैंक के माध्यम से ग्राम्यंचलों के लगभग १३०० छात्र-छात्राओं को माध्यमिक स्तर की पाठ्य-पुस्तकें प्रदान की गई। स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत ६० महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण किया गया, जो इस सभा के सेवा परक कार्यों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। ग्रामीण अंचलों में स्वरोजगार योजना एवं विद्यालय भवन निर्माण योजना का निर्णय भी सभा ने किया। सभा ने निहायत असहाय, वृद्ध एवं विकलांग व्यक्तियों को मुफ्त राशन महीने में दो बार वितरित करने का निश्चय किया और प्रथम चरण में ऐसे ६० व्यक्तियों को चयन कर दिनांक १५ अगस्त '९५ से राशन देना प्रारम्भ किया गया। इस कार्य की Jain Education International महत्ता को प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री राधेश्यामजी तुलस्यान ने समझा एवं इस कार्य हेतु ५ लाख रूपए प्रदान किये जो उनकी परदुःखकारता का श्रेष्ठ उदाहरण है। हम इनके अत्यन्त आभारी हैं। सम्प्रति इस योजना के अन्तर्गत १०० व्यक्तियों को राशन दिया जा रहा है। अभी भी ऐसे बहुत व्यक्ति हैं जो इस सहायता की अपेक्षा रखते हैं। हमारा विश्वास है कि दानी-मानी महानुभाव आगे बढ़कर इस योजना को सहयोग प्रदान करेंगे। अत्यन्त दुःख की बात है कि सभा के परम निस्पृही, सेवाभावी, निष्ठावान कार्यकर्त्ता सभा के अध्यक्ष श्री रिखबदास भंसाली की धर्मपत्नी श्रीमती भंवरीदेवी भंसाली का असामयिक स्वर्गवास हो गया। सभा के लिए यह एक जबर्दस्त आघात था । अभी इस आघात से सभा उबर भी न पायी थी कि सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं ट्रस्टी श्री छगनलालजी बैद एवं सभा के मंत्री अन्यतम सेवाभावी एवं कर्मठ कार्यकर्त्ता श्री रिधकरण बोथरा के पूज्य पिताजी श्री तोलारामजी बोथरा का गंगाशहर में देहावसान हो गया। सभा को इससे मार्मिक पीड़ा हुई। कहा जाता है कि संकट और पीड़ा कभी अकेले नहीं आते। वे कई रूपों में एक साथ मनुष्य को घेरते हैं। श्री जैन विद्यालय, कलकत्ता के अत्यन्त लोकप्रिय कुशल प्रशासक एवं राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत पूर्व प्रधानाध्यापक श्री रामानन्द तिवारी के आकस्मिक स्वर्गवास ने सभा को झकझोर दिया। सभा इन दिवंगत आत्माओं की चिरशान्ति के लिए परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करती है। दिनांक २६.११.९५ को आयोजित साधारण बैठक में सर्वसम्मति से सभा के पदाधिकारियों का निर्वाचन किया गया जो निम्न प्रकार है श्री सरदारमल कांकरिया श्री जयचंदलाल मिन्नी अध्यक्ष उपाध्यक्ष मंत्री सह-मंत्री सह-मंत्री कोषाध्यक्ष श्री सूरजमल बच्छावत श्री भंवरलाल बैद श्री शिखरचन्द मिन्नी ० अष्टदशी / 23 For Private & Personal Use Only ट्रस्टी : श्री रिखबदास भंसाली : श्री बच्छराज अभाणी श्री रिधकरण बोथरा श्री कंवरललाल मालू : : श्री माणकचंद रामपुरिया श्री भंवरलाल कर्णावट : श्री अशोक मिन्नी : श्री केशरीचन्द गेलड़ा सदस्य श्री जयचन्दलाल रामपुरिया श्री भंवरलाल दस्साणी श्री बालचन्द भूरा www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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