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केन्द्र आरम्भ किया गया। सभा उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती है। श्री पारसमलजी कांकरिया का अभिनन्दन एवं अल्पावधि में स्वर्गवास :
श्री फूसराजजी बछावत के स्वर्गवास से उत्पन्न घाव अभी पूरा भर ही नहीं पाया था कि दिनांक २० अक्टूबर १९८७ की मध्य रात्रि में धन तेरस को सभा के ट्रस्टी एवं पूर्व अध्यक्ष श्री पारसमलजी कांकरिया का स्वर्गवास हो गया। यह समाचार बिजली की तरह फैल गया एवं जिसने सुना, वह हतप्रभ रह गया। अभी साढ़े तीन माह पूर्व ५ जुलाई १९८७ को सभा की ओर से सभागार में श्री पारसमलजी कांकरिया का उनकी अगणित सेवाओं के उपलक्ष में रजत पट्ट पर उत्कीर्ण अभिनन्दन पत्र समर्पित कर सम्मानित किया ही था कि साढ़े तीन माह की अल्पावधि के बाद ही देहावसान हो गया।
सरल, सौम्य, सदैव हंसमुख रहनेवाले, निरभिमानी, सात्विक श्री पारसमलजी के निधन पर समग्र समाज शोकाकुल हो गया। श्री बच्छावत जी के पश्चात् श्री कांकरियाजी के स्वर्गवास से समाज की अपूरणीय क्षति हुई है।
किसी व्यक्ति, समाज या देश के जीवन का तात्पर्य होता है उसकी गतिशीलता। यदि जीवन में गति नहीं तो वह जीवित नहीं कहा जा सकता, किन्तु इस गतिशीलता का रचनात्मक होना नितान्त आवश्यक है। यदि यह कहा जाय कि विध्वंसात्मक गति और भी अधिक खतरनाक होती है तो कतई अत्युक्ति नहीं। रचनात्मक कार्य ही वास्तव में मनुष्य को, समाज को या देश को गति प्रदान करता है।
ऐसे ही रचनात्मक कार्यकलापों से जुड़ी श्री श्वे० स्था० जैन सभा आज अपने ७० वसन्त पार कर चुकी है। इसके पहले सन् १९८८ ई० में इसने अपनी हीरक जयन्ती मनायी है जिसकी अमिट छाप अभी भी मस्तिष्क में ताजातरीन है। हीरक जयन्ती वर्ष २८ मार्च १९८८ को श्री जैन विद्यालय, कलकत्ता के वार्षिकोत्सव के साथ प्रारम्भ हुई थी किन्तु इसका विधिवत् उद्घाटन साहित्य मनीषी श्री कन्हैयालाल सेठिया ने १८-९-८८ को दीप प्रज्ज्वलित कर किया। २४-९-८८ को अंत:विद्यालय भक्तामर-रामायण पाठ प्रतियोगिता का श्री जैन विद्यालय, कलकत्ता में आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विद्यालय के बालचर दल की ओर से केम्प फायर का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन पश्चिम कलकत्ता के स्काउट कमिश्नर श्री पुष्करलाल केडिया ने किया। हीरक जयन्ती का मुख्य समारोह श्री घनश्याम दास बिड़ला सभागार में २४.१२.८८ को आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्री गणपतराजजी बोहरा, श्री
नवमलजी फिरोदिया, डॉ० सागरमलजी जैन प्रभृति गणमान्य व्यक्तियों ने मंचस्थ हो आयोजन की शोभा बढ़ाई। इसी समारोह में सभा के कर्मठ कार्यकर्ता श्री कन्हैयालालजी मालू एवं श्री पूरणमलजी कांकरिया का उनकी अमूल्य सेवाओं के लिए सभा की ओर से अभिनन्दन किया गया। श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा की हीरक जयन्ती एवं पार्श्वनाथ शोध विद्यापीठ, वाराणसी के स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में तीन सत्रों में विद्वत् गोष्ठी का आयोजन २५.१२.८८ को किया गया, जिनमें १५ जैन विद्वानों के शोध-पत्र पढ़े गए।
इसी अवसर पर कूचबिहार एवं मुर्शिदाबाद में सभा की ओर नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा तथा शान्तिनिकेतन में नि:शुल्क विकलांग शिविरों का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। हीरक जयन्ती में भाग लेनेवाले छात्रों को २६.१.८९ को एवं इसे सफलतापूर्वक सम्पन्न करने में सहयोग देनेवाले शिक्षकों को २८.१.८९ को सभा ने सम्मानित किया। का २८.१.८९ को सभा
सभा की नयी कार्यकारिणी का चुनाव १७.१२.८९ को किया गया जिसमें नये पदाधिकारियों का निर्वाचन निम्न प्रकार से हुआ
ट्रस्टी श्री छगनलाल बैद
श्री कन्हैयालाल मालू श्री जयचंदलाल रामपुरिया श्री सरदारमल कांकरिया
सभापति : श्री भंवरलाल बैद उपसभापति : श्री भंवरलाल कर्णावट
: श्री रिधकरण बोथरा सह-मंत्री : श्री मोहनलाल भंसाली सह-मंत्री : श्री सुभाष बच्छावत कोषाध्यक्ष : श्री भंवरलाल दस्साणी
सदस्य श्री सूरजमल बच्छावत
श्री शिखरचंद मिन्नी श्री प्रेमचन्द मुकीम
श्री माणकचंद रामपुरिया श्री प्रकाशचंद कोठारी
श्री झंवरलाल कोठारी श्री रिखबदास भंसाली
श्री लच्छीराम पुगलिया श्री मेघराज जैन
श्री जयचन्दलाल मिन्नी श्री देवराज मेहता
श्री सुन्दरलाल दुगड़ श्री जसकरण बोथरा
श्री पारसमल भूरट श्री सुभाष कांकरिया
श्री पूरणमल कांकरिया श्री शान्तिलाल जैन
श्री कंवरलाल मालू श्री बालचन्द भूरा
श्री बच्छराज अभाणी श्री अशोक मिन्नी
मंत्री
० अष्टदशी / 200
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