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सभा के विकास एवं उन्नयन में अथक सहयोग देने तथा निरन्तर सेवा प्रदान करने के उपलक्ष में सभा ने श्री सूरजमल जी बच्छावत को स्वर्ण जयन्ती के इस अवसर पर अभिनन्दन पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
इस स्वर्ण जयन्ती महोत्सव के माध्यम से सभा की समाज तथा राष्ट्रोपयोगी एवं लोक-कल्याणकारी प्रवृत्तियों का परिचय पाकर समग्र देश से आगत अतिथियों ने अत्यन्त प्रसन्नता व्यक्त की एवं कार्यकर्ताओं की भूयसी प्रशंसा करते हुए साधुवाद दिया।
जिस भव्य एवं अंगूठे ढंग से यह स्वर्ण जयन्ती समारोह सम्पन्न हुआ उसकी सुखद स्मृति दर्शकों के हृदय-पटल पर चिरस्थायी रहेगी। महिला उत्थान समिति की स्थापना :
स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर सभा ने महिलाओं के उत्थान की दिशा में अपने कदम बढ़ाने का निश्चय किया। नारी जाति भी पुरुष के कदम के साथ कदम मिलाकर हर दिशा में अग्रसर हो रही थी अत: महिला उत्थान समिति की स्थापना कर सभा ने समाज के प्रगति-रथ को तीव्रगामी बनाने के निश्चय को मूर्त रूप प्रदान किया। इस समिति की बागडोर श्रीमती गायत्रीदेवी कांकरिया को संयोजिका बनाकर उनके सुदृढ़ हाथों से सौंपी गई। महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए श्री शिल्प शिक्षा केन्द्र भी प्रारंभ किया गया।
दिनांक २७ जनवरी १९८० को श्री रिखबदास भंसाली की अध्यक्षता में सभा की साधारण बैठक आयोजित की गई जिसमें ट्रस्टी, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष मंत्री एवं कोषाध्यक्ष के रूप में विगत पदाधिकारियों को ही निर्वाचित किया गया। सहमंत्री के रूप में श्री निर्मलकुमार नाहर के स्थान पर श्री रिधकरण बोथरा निर्वाचित किये गये। श्री जैन भोजनालय समिति, श्री भवन विस्तार एवं निर्माण समिति, श्री जैन बर्तन भण्डार समिति, श्री मानवसेवा सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति, श्री धर्म सभा समिति के संयोजक के रूप में क्रमश श्री भंवरलाल दस्साणी, श्री सूरजमल बच्छावत, श्री जतनलाल सेठिया, श्री शांतिलाल मिन्नी, श्री बच्छराज अब्भाणी निर्वाचित किये गये।
गरीब छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा ग्रहण करने एवं अध्ययन में सुविधा प्रदान करने के लिए सभा ने श्री जैन बुक बैंक की स्थापना का सुसंकल्प किया एवं श्री मूलचन्दजी मुकीम के संयोजकत्व में सात सदस्यीय श्री जैन बुक बैंक समिति का निर्माण कर अपने संकल्प को रूपायित किया।
दिनांक ११ जनवरी १९८१ को श्री रिखबदास भंसाली की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में श्री जतनलाल सेठिया की अस्वस्थता के कारण भी भंवरलाल सेठिया श्री जैन बर्तन वस्तु भंडार के संयोजक नियुक्त किये गये। इस बैठक में १५ मार्च १९८१ को स्नेह मिलन आयोजित करने का निर्णय कर श्री प्रेमचन्द मुकीम के संयोजकत्व में दस सदस्यीय समिति का गठन किया गया। स्नेह मिलन के पूर्व कलकत्ता स्थित स्थानकवासी जैन भाइयों की जनगणना का कार्य पूर्ण करने हेतु स्नेह मिलन समिति को कार्यभार सौंपा गया। ___ दिनांक १३ सितम्बर ८१ को आयोजित बैठक में लगभग उन्हीं पदाधिकारियों का चुनाव किया गया जो पूर्व से चले आ रहे थे। तीन समितियों- श्री जैन भोजनालय, श्री जैन बर्तन वस्तु भंडार एवं श्री भवन निर्माण एवं विकास समिति के संयोजक क्रमश: सर्वश्री भंवरलाल कर्णावट, लूणकरण भंडारी एवं प्रेमचन्द मुकीम निर्वाचित घोषित किये गये। श्री महिला उत्थान समिति में श्रीमती सरला बच्छावत को सहसंयोजिका बनाया गया।
दिनांक ३१ जुलाई १९८३ को साधारण सभा की बैठक में श्री झंवरलाल बैद उपाध्यक्ष निर्वाचित किये गये।श्री जयचन्दलाल मिन्नी को मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया। अन्य स्थानों के लिए पूर्व पदाधिकारियों को ही निर्वाचित घोषित किया गया। हिसाब परीक्षक के रूप में श्री के० एस० बोथरा एण्ड कम्पनी की नियुक्ति की गई। श्री भंवरलाल कर्णावट सहमंत्री बनाये गये।
श्री जैन विद्यालय सभा की प्रमुख प्रवृत्ति है। यह सभा का वह कीर्तिस्तम्भ, आलोकस्तम्भ है जिसके उच्च शैक्षणिक स्तर, दृढ़ अनुशासन एवं शतप्रतिशत परीक्षाफल के कारण सभा की कीर्ति कौमुदी चतुर्दिक व्याप्त हुई है। सन् १९३४ ई० में स्थापित श्री जैन विद्यालय की स्वर्ण जयन्ती मनाने का निश्चय किया गया। विद्यालय परिवार के हर्ष का पार नहीं था। श्री जैन विद्यालय की स्वर्ण जयन्ती :
दिनांक ८ जनवरी १९८४ से १५ जनवरी तक सप्ताह व्यापी विभिनन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया गया। जो कार्यक्रम आयोजित किये गये उनमें श्री सुनील दुगड़ स्मृति अन्त: विद्यालय वॉलीबाल प्रतियोगिता, अन्त: विद्यालय भक्तामर स्तोत्र एवं रामचरित मानस सस्वर पाठ प्रतियोगिता, कला-विज्ञान एवं भूगोल प्रदर्शनी, अखिल भारतीय जैन पत्रकार सम्मेलन, अखिल भारतीय जैन पत्र-पत्रिका प्रदर्शनी, श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ एवं महिला समिति की प्रबन्धकारिणी समिति की बैठक, श्रीमद् जैनाचार्य स्मृति व्याख्यान माला, स्व० श्री प्रदीपकुमार रामपुरिया स्मृति साहित्य पुरस्कार, श्री अखिल भारतीय जैन विद्वत परिषद आदि प्रमुख थे।
अष्टदशी / 180
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