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________________ १३ गणमान्य सदस्य कार्यकारिणी के निर्वाचित किये सहमंत्री : श्री झंवरलाल बैद गये। विश्वस्त मंडल में कोई परिवर्ततन नहीं हुआ। कोषाध्यक्ष : श्री भंवरलाल करणावट हिसाब परीक्षक के रूप में श्री बी०आर० भंसाली की इसके अतिरिक्त २२ सदस्य कार्यकारिणी के लिए चुने पुनर्नियुक्ति की गई। गये। प्रचार विभाग के कार्य को अधिक व्यवस्थित एवं श्री जैन चिकित्सालय उपसमिति : सुनियोजित करने हेतु श्री केवलचन्द कांकरिया के संयोजकत्व संयोजक श्री सूरजमल बच्छावत में छह सदस्यों की समिति गठित की गई। सात सदस्यीय भोजनालय समिति के संयोजक श्री कन्हैयालाल मालू निर्वाचित सदस्य किये गये। श्री झंवरलाल कोठारी श्री फागमल अब्भाणी इस बैठक में जीवदयाकोष को बढ़ाने एव जीवदया के श्री भीखमचन्द भंसाली श्री सुरेन्द्रकुमार बांठिया कार्यों में विस्तार हेतु प्रस्तुत श्री सरदारमल कांकरिया के सुझाव श्री जैन भोजनालय उपसमिति : को सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया। श्री फूसराज बच्छावत संयोजक श्री कन्हैयालाल मालू ने सभा की सदस्य संख्या एवं सेवाकार्यों में वृद्धि हेतु सदस्यों सदस्य से अनुरोध किया। सभा की एक विशेष बैठक आयोजित कर सभा के कर्मठ एवं निस्वार्थ सेवा-भावी कार्यकर्ता श्री फूसराजजी श्री भंवरलाल कर्णावट श्री फूसराज बच्छावत बच्छावत को उनकी सेवाओं के उपलक्षय में अभिनन्दन पत्र श्री मांगीलाल मिन्नी श्री शांतिलाल डागा समर्पित किया गया। श्री भंवरलाल बैद श्री माणकचंद रामपुरिया श्री सरदारमल कांकरिया श्री हरखचन्द कांकरिया सन् १६-३-१९७५ को सम्पन्न सभा की साधारण बैठक में पूर्व पदाधिकारियों का ही पुननिर्वाचन किया गया। प्रचार विभाग विकासोन्मुख प्रवृतियों के कार्य भार को संभालने के लिए मंत्री संयोजक : श्री शांतिलाल मुकीम के सहयोग हेतु सहमंत्री की संख्या बढ़कर दो कर दी गई। श्री सदस्य झंवरलालजी बैद के साथ श्री जयचन्दलालजी मिन्नी का श्री बुलाकीचन्द कोठारी श्री भंवरलाल बोथरा निर्वाचन सहमंत्री के रूप में हुआ। श्री जैन भोजनालय की आठ श्री सँवरलाल बैद श्री नीलमचन्द कुम्भट सदस्यीय समिति के संयोजक श्री पारसमल भूरट बनाये गये। निर्धारित अवधि में चुनाव करना सभा की एक स्वस्थ सभा के सदस्यों ने अनुभव किया कि समाज के महानुभाव परम्परा रही है। कार्यकर्ताओं के उत्साहवर्द्धन, स्वस्थ स्पर्धा तथा विवाह शादी के समय बर्तनों की कठिनाई बहुधा अनुभव करते प्रवृत्ति विकास के लिए भी यह अत्यावश्यक है। सामाजिक हैं। इस कमी को पूरी करने के लिए सभा ने निश्चय किया कि संस्थाएँ किसी के हाथ की कठपुतली न बने, तदर्थ भी चुनाव एक बर्तन वस्तु भंडार की स्थापना की जाय जिनमें पर्याप्त आवश्यक है। बर्तनों का प्रबन्ध किया जाय ताकि सदस्यों को विवाह शादी में सन् १९७१ के पश्चात् दिनांक १ जुलाई ७३ को बर्तनों का अभाव न हो। श्री भंवरलाल करणावट के संयोजकत्व सम्पन्न सभा की साधारण बैठक में पदाधिकारियों का निर्वाचन एवं श्री भंवरलालजी दस्साणी के सहसंयोजकत्व में पाँच किया गया। सभा के बढ़ते कार्यभार के कारण कार्यकारिणी सदस्यीय एक समिति इस हेतु गठित की गई। पुस्तकालय एवं सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इकतीस करने का भी निश्चय किया वाचनालय विभाग की त्रिसदस्यीय समिति के संयोजक श्री तथा ७ सदस्यों का कोरम रखा गया। पारसमल सुराना नियुक्त किये गये। श्री भवन विस्तार एवं निर्माण की ९ सदस्यीय समिति के संयोजक श्री सूरजमल विश्वस्त मंडल के उन्हीं सदस्यो का पुनर्निवाचन किया बच्छावत बनाये गये। गया, जो पूर्व में थे। पदाधिकारियों का चुनाव निम्नप्रकारेण युवापीढ़ी को सद्धर्म एवं सदाचरण युक्त बनाने के लिए धर्म सभा की स्थापना की तीव्रता से अनुभूति की गई। समयअध्यक्ष : श्री फूसराज कांकरिया समय पर धर्म सभा विभिन्न आयोजनों द्वारा युवकों में धर्म, उपाध्यक्ष : श्री देवराज गोलछा अध्यात्म एवं सदाचार का प्रचार-प्रसार करे, इस पर विशेष बल __ मंत्री : श्री रिखबदास भंसाली दिया गया। श्री सरदारमल कांकरिया दस सदस्यीय धर्म सभा ० अष्टदशी / 160 हुआ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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