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________________ 9.0.0.0.0.0.9 aa.se.se . . . . . ... . .. .....emeese+D.0.0.. महाविद्यालयो छात्रों का आवासीय केन्द्र श्री रायचन्द छोगालाल भंसाली महाविद्यालय छात्रावास, राणावास प्रो० पी० एम० जैन, अधीक्षक, छात्रावास श्री जैन तेरापंथ महाविद्यालय, राणावास का अपना अलग से एक छात्रावास है। यह महाविद्यालय भवन के पास ही एक आकर्षक एवं भव्य अट्टालिका के रूप में खड़ा हुआ है । कर्मयोगी काका साहब श्री केसरीमलजी सुराणा ने जब भगवान महावीर की पच्चीससौवीं निर्वाण शताब्दी के अवसर पर महाविद्यालय आरम्भ करने का संकल्प लिया तो उसके साथ ही महाविद्यालय के छात्रों के अनुरूप आधुनिक सुख-सुविधाओं से सम्पन्न इस महाविद्यालय छात्रावास के निर्माण का बीड़ा भी काका साहब ने उठाया। छात्रावास भवन का शिलान्यास चूरू निवासी दानवीर सेठ श्री विजयसिंह जी सुराणा के कर-कमलों द्वारा वि० सं० २०२६ माघ शुक्ला १३ गुरुवार दिनांक १५-२-१९७३ को प्रातः साढ़े आठ बजे सम्पन्न हुआ। भवन चार वर्षों में ही बन कर तैयार हो गया और इस नवनिर्मित भवन का उद्घाटन विराटनगर (नेपाल) निवासी प्रसिद्ध उद्योगपति श्री तोलारामजी दूगड़ द्वारा वि० सं० २०३३ मगसिर कृष्णा १२ दिनांक १८ नवम्बर, १९७६ को प्रात: ग्यारह बजे सम्पन्न हुआ। भवन क्षमता व सुख-सुविधा-लगभग दस लाख रुपये की लागत से निर्मित यह महाविद्यालय छात्रावास तीन मंजिला है और अंग्रेजी भाषा की E के आकार में बना हुआ है। छात्रावास में कुल पाँच विंग बने हुए हैं तथा उनमें ११० कमरे व ३ बड़े हाल हैं । प्रत्येक कमरे में तीन छात्र एक साथ रह सकें इस प्रकार की कमरे के आकार-प्रकार की व्यवस्था है। इस प्रकार यह छात्रावास ३३० लड़कों के रहने के लिए बनाया गया है। प्रत्येक कमरे में खाट (पलंग), टेबल, कुर्सी, अलमारी व बिजली की सुविधा संघ की ओर से उपलब्ध है। हवा, रोशनी हेतु प्रत्येक कमरे में खिड़कियाँ बनी हुई हैं । महाविद्यालय भवन के पीछे फ्लश की तारछे हैं तथा नहाने-धोने के लिए दो बड़ी टंकियाँ भी हैं । टंकियों में पानी पास ही के कुएँ से मशीन द्वारा चढ़ाया जाता है। छात्रावास में प्रवेश-छात्रावास के प्रवेश द्वार सभी के लिए खुले हुए हैं । जाति, धर्म, वर्ण आदि का कोई बन्धन नहीं है। जो छात्र महाविद्यालय में अध्ययन करता है, वह गृहपति (वार्डन) से सम्पर्क स्थापित कर छात्रावास में प्रवेश प्राप्त कर सकता है। इसके लिए छात्र को प्रवेश फार्म भरना होता है तथा आवश्यक शुल्क जमा कराना होता है लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि छात्र सुसंस्कारी है या नहीं और उसका पूर्व का रिकार्ड किस प्रकार का है ? असंतोष व अव्यवस्था फैलाने वाले छात्रों का प्रवेश निरस्त भी किया जा सकता है। छात्र संख्या-संख्या की दृष्टि से यह छात्रावास अभी शैशवावस्था में ही है किन्तु छात्र संख्या क्रमशः उसी अनुरूप में बढ़ती जा रही है, जिस रूप में महाविद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ रही है। छात्रावास में कला संकाय और वाणिज्य संकाय दोनों के छात्र निवास करते हैं। वर्ष के अनुसार तथा संकाय व कक्षा के अनुसार छात्र संख्या का विवरण इस प्रकार है - . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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