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________________ २१८ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड or orm xxx 0 049 arm x durd कला वाणिज्य कला एवं वाणिज्य संकाय संकाय संकाय का सं० वर्ष प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष तृतीय वर्ष प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष तृतीय वर्ष कुल योग १. १९७५-७६ २. १९७६-७७ ३. १९७७-७८ ४. १९७८-७९ ५. १९७९-८० ६. १९८०-८१ छात्रावास व्यवस्था-छात्रावास की सम्पूर्ण व्यवस्था एवं छात्रों की दैनिक गतिविधियों की देखरेख के लिए संघ की ओर से एक वार्डन (छात्रावास अधीक्षक) नियुक्त है। छात्रावास अधीक्षक महाविद्यालय का ही कोई व्याख्याता होता है। अधीक्षक का निवास भी छात्रावास के नजदीक ही बना हुआ है। छात्रावास में अनुशासन, सफाई, भोजन, अध्ययन, सौहार्द आदि का मुख्य जिम्मा वार्डन का ही रहता है। वार्डन एक तरह से छात्रों के अभिभावक के रूप में काम करता है। छात्रावास आरम्भ होने की तिथि से लेकर अब तक निम्न वार्डन (गृहपति) इस छात्रावास में वार्डन के पद पर अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैंक्रम सं० सन् वार्डन का नाम १. १९७५-७६ श्री सी० एल० कोठारी १९७६-७७ श्री एच० सी० चौरड़िया १९७७-७८ श्री एच० सी० चौरड़िया १९७८-७६ श्री एच० सी० चौरड़िया एवं श्री पी० एम० जैन १९७९-८० श्री पी० एम० जैन १९८०-८१ श्री पी० एम० जैन एवं श्री एच० सी० चौरड़िया वार्डन के कार्य में सहयोग देने के लिए एक परिषद् एवं एक समिति भी प्रतिवर्ष बनाई जाती है। ये हैं(१) छात्रावास परिषद और (२) भोजन समिति । छात्रावास परिषद में कुल सात छात्र होते हैं। एक मुख्य छात्रनायक और शेष छः सदस्य होते हैं। मुख्य छात्रनायक के नेतृत्व में शेष छः सदस्य वार्डन की अनुपस्थिति में छात्रावास के समस्त दायित्व को वहन करते हैं । भोजन समिति में भी कुल सात सदस्य होते हैं। भोजन समिति का एक चेयरमैन मैरिट के अनुसार नियुक्त किया जाता है, शेष छः सदस्य होते हैं। यह समिति भोजन सम्बन्धी सम्पूर्ण कार्य की देख-रेख करती है। उपर्युक्त परिषद व समिति महाविद्यालय के प्राचार्य की संरक्षता और वार्डन (गृहपति अधीक्षक) के नेतृत्व में स्थापित की जाती है। भोजन व्यवस्था-छात्रावास में आवासीय छात्रों के भोजन के लिए महाविद्यालय भवन तथा छात्रावास भवन के पास ही अलग से भोजनालय भवन बना हुआ है। इस भवन में रसोड़ा, कोठार, बड़े हाल एवं रसोइयों के निवास के कमरे बने हुए हैं । भोजन पूर्णतया शुद्ध तथा सात्त्विक दिया जाता है। दोनों समय चपाती, चावल, दाल या कड़ी तथा हरी सब्जी भोजन की मुख्य सामग्री होती है। भोजन में शुद्ध देशी घृत का प्रयोग किया जाता है। प्रति रविवार को विशिष्ट भोजन के रूप में मिठाई दी जाती है । प्रातःकालीन नाश्ते में दूध, घाट आदि दी जाती है । दोपहर को भी नाश्ता दिया जाता है। छात्रों को अपने कमरे में ही चाय बनाने के लिए अलग से दूध भी निर्धारित समय पर दिया जाता है। इस महँगाई के युग में भी भोजन शुल्क प्रतिमाह प्रति छात्र ६० (नब्बे) रुपये की दर से लिया जाता है। तीस रुपये प्रतिमाह प्रत्येक छात्र से धोबी, नाई, बिजली, कमरा आदि के निमित्त लिए जाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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