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________________ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड .... ...... ३३. श्रीनती सुन्दरबाई सुराणा स्टेनो टाइपिंग कक्षाएँ एक हिन्दी टाइप राइटर ३४. श्रीयुत बाबूलाल जी भंसाली ३५. श्रीयुत बस्तीमल जी कोठारी ३६. श्रीयुत मोतीलाल जी धोका ३७. श्रीयुत बस्तीमल जी कोठारी महाविद्यालय विकास हेतु ३६५-०० ३८. श्री महाराष्ट्र आयल इन्डस्ट्रीज, धूलिया कहानी प्रतियोगिता हेतु १५५१-०० ३६. श्री टी० ओकचन्द गदैया टेबिल टेनिस हेतु ११५१-०० ४०. श्री बस्तीमल जी कोठारी राष्ट्रीय सेवा योजना ५००-०० ४१. श्रीयुत पारसमल जी डोसी राष्ट्रीय सेवा योजना १०१-०० ४२. श्रीयुत अमरचन्द जी गादिया । प्रतियोगिता हेतु १५५१-०० ४३. श्री टी. ओकचन्द गादिया प्रतियोगिता हेतु १५५१-०० प्रतियोगिता की शील्ड हेतु १०००-०० घोषित विशेष पारितोषक हेतु (खेल-कूद के संदर्भ में) १०२-०० ४४. श्रीयुत पारसमल जी भंवरलाल जी वेद मूथा प्रतियोगिता की शील्ड हेतु २५१-०० घोषित ४५. श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी खेल-कूद सामग्री हेतु १०००-०० मानव हितकारी संघ पुरस्कार हेतु १००-०० ४६. श्रीयुत राजेन्द्र सिंह जी कछवाह खेल सामग्री हेतु २५१-०० घोषित महाविद्यालय पत्रिका हेतु(विज्ञापन विभाग) १००१-०० घोषित ४७. श्रीयुत पारसमल जी गादिया पुरस्कार हेतु (वार्षिकोत्सव के संदर्भ में) २५१-०० घोषित महाविद्यालय के भावी चरण-लगभग सात वर्षों के अल्पकाल में महाविद्यालय की उपर्युक्त गति प्रगति से स्पष्ट है कि इस महाविद्यालय में भावी विकास की उत्साहवर्द्धक संभावनाएँ हैं तथा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रूप में प्रस्थापित होने के समस्त गुण प्रारम्भ से ही विद्यमान हैं। कुछ कमियाँ भी हैं, जिनकी पूर्ति निकट भविष्य में ही करने के अनवरत प्रयास चल रहे हैं, तत्सम्बन्धी कतिपय बिन्दु निम्न हैं - १-खेलों के मैदान के लिए स्टेडियम का निर्माण करना। २-विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए विद्यार्थियों के निःशुल्क प्रशिक्षण की विशेष व्यवस्था करना । ३–निर्धन विद्यार्थियों के शिक्षण हेतु व्यवस्था करना। ४-विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकों का Exchange of Teacher's Programme योजना के अन्तर्गत विस्तार भाषणों का आयोजन करना। ५-राज्य स्तर पर धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन करना। ६-यू० जी० सी० द्वारा प्रस्तावित रेमिडियल क्लासेज योजना को कार्यरूप में लागू करना । ७-यू० जी० सी० द्वारा विभिन्न मदों में अनुदान प्राप्त करना। ८-यू० जी० सी० से १० प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों के संचालन के लिए अनुदान प्राप्त करना। ६-एन० सी० सी० एयर विंग स्काउटिंग आदि प्रारम्भ करने हेतु प्रयास करना । १०-क्षेत्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता का आयोजन । ११-नैतिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु विशेष प्रयास । . 0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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