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विद्याभूमि राणावास
३. सर्वोदय छात्रावास
राष्ट्रपिता गांधीजी के चरण चिह्नों पर चलने वाले वास्तविक सर्वोदयी विचारक एवं महात्मा गाँधी के प्रवक्ता श्रीयुत मिश्रीमलजी सुराणा ने सर्वजाति एवं सर्वधर्म समन्वय को भावना से प्रेरित होकर सन् १९७२ में इसकी स्थापना की। इस छात्रावास में विभिन्न विद्यालयों एवं महाविद्यालय के छात्र रहते हैं। अस्पृश्यता निवारण, प्रेमभाव एवं भाई-चारे का पाठ यहाँ पढ़ाया जाता है । यह संस्था स्वावलम्बन पर विशेष बल देती है ।
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४. चौधरी छात्रावास
इस छात्रावास की स्थापना १९७६ में हुई । इसमें विभिन्न विद्यालयों एवं महाविद्यालय के छात्र आवास एवं भोजन की सुविधा प्राप्त करते हैं। इसका अपना दो मंजिला भवन है ।
५. महावीर कन्या छात्रावास
महिला शिक्षण संघ द्वारा संचालित इस छात्रावास की स्थापना १९६१ में हुई। इस छात्रावास की व्यवस्था बहुत सुन्दर है। इसमें कन्या विद्यालय व बाल मन्दिर की छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है।
६. राजपूत छात्रावास
इस छात्रावास की स्थापना का भी निर्णय ले लिया गया है तथा जमीन भी खरीद ली गई है । शीघ्र ही निर्माण कार्य शुरू होने वाला है ।
इन शिक्षण संस्थाओं के अतिरिक्त यहाँ राजकीय अस्पताल है, जहाँ रोगी अपना उपचार कराते हैं। एक शिशु रोग विशेषज्ञ ३२ वर्षों से यहाँ जन सेवा में संलग्न है। प्रसूति गृह का एक विशाल भवन निर्माणाधीन है। इन सबके अतिरिक्त पोस्ट आफिस, तारघर रेलवे स्टेशन, टेलीफोन तथा बैंक की सुविधा भी है। क्रय-विक्रय के लिए बाजार है। बिजली की कमी को राज्य सरकार ने पूरा कर दिया है। प्रतिवर्ष हनुमानजी का मेला लगता है । राणावास मारवाड़ जंक्शन, पाली, रानी, फुलाद, सोजत आदि कस्बों से जुड़ा है ।
इस प्रकार यह विद्याभूमि विकास की ओर उन्मुख है। यहाँ की सारी उन्नति का य यहाँ की शिक्षण संस्थाओं को है, जिनमें भारत के विभिन्न प्रान्तों से विद्यार्थी आकर अपना अध्ययन और चरित्र निर्माण करते हैं । वैसे शिक्षण संस्थाओं का देश में अभाव नहीं है, लेकिन चरित्र-निर्माण की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया । मानव हितकारी संघ का मुख्य उद्देश्य है- व्यावहारिक पढ़ाई के साथ-साथ आचार का सदुपयोग और नैतिकता का विकास करना । ऐसा अन्य शिक्षण संस्थाओं में ध्यान नहीं दिया जाता और यही कारण है कि आज युवा पीढ़ी दिशाहीन पंछी की तरह दिग्भ्रमित होकर रचनात्मक कार्यों की अपेक्षा विध्वंसात्मक कार्यों में अपनी शक्ति का नियोजन कर रही है।
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विद्याभूमि का निर्माण करने और शिक्षारूपी कस्तूरी की सुवास को जन-जन तक पहुँचाने में संघ के अवैतनिक मंत्री कर्मयोगी केशरीमलजी सुराणा का अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्हीं की लगन, दृढ़ निश्चय एवं संकल्प शक्ति से काम सफल हो पाया है। उनकी सेवाओं को राणावास युगों-युगों तक याद रखेगा । 00
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