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________________ १६८ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड 2 000- Mrses... - it. In 20-2000m-mem a ratram - term. .ma ratise or T Cam BHAS OAD बड़ी विशेषता यह है कि बहुत ही कम शुल्क में विद्यार्थियों को आवास की सम्पूर्ण सुविधाएं, सात्त्विक एवं सन्तुलित भोजन दिया जाता है। उदाहरणार्थ महाविद्यालय में मासिक शुल्क मात्र १२० रु० लिया जाता है । मेरी दृष्टि में ऐसी उत्तम एवं सस्ती व्यवस्था राजस्थान में किसी अन्य स्थान पर उपलब्ध नहीं है। __ भवन निर्माण की दृष्टि से मानव हितकारी संघ का प्रांगण अत्यन्त समृद्ध है। प्रांगण में स्थित विशाल एवं भव्य भवन वास्तव में किसी बड़े शहर की याद दिलाते हैं। सभागार, ओषधालय, अतिथिभवन, तेरापंथ महाविद्यालय, सुमति शिक्षा सदन, आदर्श निकेतन छात्रावास एवं महाविद्यालय-छात्रावास अपनी अलग ही छटा प्रस्तुत करते हैं। मरुधरकेसरी उच्च माध्यमिक विद्यालय इसकी स्थापना सन् १९७० में हुई । उच्च माध्यमिक स्तर पर वाणिज्य एवं कला विषयों के अध्ययन की यहाँ उत्तम व्यवस्था है। श्री थानचन्द मेहता क्राफ्ट महाविद्यालय __मरुधरकेसरी विद्यालय द्वारा स्थापित इस महाविद्यालय में विभिन्न वस्तुओं, जैसे-सोफासेट, अटैची, बेग, कुर्सियां आदि के निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके साथ ही चित्रकला एवं संगीत का भी प्रशिक्षण दिया जाता है । इस विद्यालय की स्थापना १९७३ ई० में हुई । वर्तमान स्थानकवासी छात्रावास मरुधरकेसरी विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के आवास एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था है । यहाँ नियमित रूप से सदाचारी जीवन का निर्माण किया जाता है। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय यह विद्यालय शिक्षा विभाग, पाली के अन्तर्गत कार्यरत है। इसकी स्थापना १९७४ में हुई। इस शाला का स्तर सदैव से प्रशंसनीय रहा है। अखिल भारतीय जैन महिला शिक्षण संघ राणावास स्त्री-शिक्षा के प्रति भी पूर्ण जागरूक है । इस संघ की स्थापना श्रीमती सुन्दरबाई सुराणा ने सन् १९६० में की। श्रद्धय केसरीमलजी सुराणा के सुसंचालन में संघ निरन्तर प्रगति करता हुआ बालिकाओं के चरित्रनिर्माण में संलग्न है । मैथलीशरण गुप्त के शब्दों में विद्या हमारी भी न तब तक काम में कुछ आयेगी। अर्धागियों को भी सुशिक्षा दी न जब तक जायेगी। संघ बालिकाओं में सद्गृहिणी के सुसंस्कार निर्मित कर समाज की नींव को सुदृढ़ बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहा है । संघ के अन्तर्गत निम्न इकाइयाँ कार्यरत हैं१. महावीर कन्या माध्यमिक विद्यालय इसकी स्थापना सन् १९६१ में हुई। इसमें माध्यमिक स्तर पर कला के विषयों का अध्ययन कराया जाता है। सिलाई, संगीत तथा गृह-विज्ञान का विशेष रूप से अध्ययन होता है। २. बाल मन्दिर ___ इसकी स्थापना सन् १९७३ में हुई । यहाँ पर प्राथमिक स्तर की नन्हीं बालिकाओं को अध्ययन एवं जीवननिर्माण की कला सिखाई जाती है । स SNOR kr Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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