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. काव्यांजलि
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सच्चा केसरी कहलाया
साध्वी श्री विनयश्री
क्या उजड़ सचमुच पथ नहीं बन जाता। क्या जंगल सचमुच शहर नहीं बस जाता ॥ देखो कुशल कलाकार की सृजन शक्ति को तुम । क्या शैतान भी भगवान नहीं बन जाता ॥१॥ आवश्यकता हुई तो आविष्कार बना। बीमारियाँ हुई तो उपचार बना ॥ इन्सान की प्रतिभा का चमत्कार है अद्भुत । सायं सायं करता जंगल भी राणावास बना ॥२॥ आसमान में चाँद आया तो काली रात में प्रकाश छाया। पावस में मेघ मंडराया तो धरती का कण-कण विकसाया ।। जीवनदानी कर्मठ कार्यकर्ता के श्रम में भरा क्या जादू ? उच्छं खल बच्चों का जीवन चमत्कृत सितारा बन आया ॥३॥ मरुधर का वीर केशरी, सच्चा केसरी कहलाया। तेरापंथी श्रमण-उपासक सच्चा वही कहलाया। श्रद्धा, निष्ठा और तितिक्षा के बल पर देखो। सुप्त वृत्तियों को जगा, शिक्षा का सुवर्ण इतिहास बन आया॥
00 हे मानव के मसीहा
श्री डूंगरमल जैन
(पचपदरासिटी) हे मानव के मसीहा
उर्जा के सुन्दर उपवन में तुम त्यागी हो, वैरागी हो,
विद्या का क्रमशः विकास किया। मानवता के
भौतिकता की प्रचंड ज्वार में अनुरागी हो।
तुम कठोर चट्टान बन अडिग रहे, तृष्णा की धधकती ज्वालाओं को
नैतिकता की वसुंधरा पर तुमने शीतल दान दिया,
अविचल राही बन अटल रहे। चरित्र नव निर्माण की
बच्चों के नवनिर्माता अडोल नींव पर
तुम ! राष्ट्र के भाग्य विधाता हो, विश्व-बन्धुत्व का पैगाम दिया।
तेरे शत शत अभिनन्दन की वेला में अकल्पनीय को कल्पित कर
चिरायु की शुभ-कामना हो। क्रान्ति का शंखनाद किया,
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