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________________ रूप से प्रतिपादित किया। इस पंचतकाल की यह कोई छोटी उपलब्धि या छोटी घटना नहीं है। यह एक दुर्लभ घटना है कि श्रीमद्रजी एवं सहजानन्दघनजी जैसे दो-दो महापुरुष इस काल में प्रत्यक्ष निकट रूप से उत्पन्न हुए । कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य युग-प्रधान दादा श्री जिनदत्तसूरीश्वरजी एवं महायोगी श्री आनन्दघनजी को ही मानों अन्तचेतना धारण कर अईधर्म की वीतरागमार्ग को उन्होंने अपने परिशुद्ध मूल रूप में जो प्रतिपादित और परिदर्शित किया उसे शांतिकामी जैन जगत् एवं बृहत् जगत् के समक्ष लाने में स्व० अगरचन्दजी एवं श्री भंवरलाल जी का योगदान कम नहीं है। संस्कृत, प्राकृत. हिन्दी सभी अधिकारपूर्ण भाषाओं में श्री भवरलालजी ने तो अपनी कलम की धारा मुक्तरूप से बहायी है। इन सभी भाषाओं में उनकी गुरुभक्ति भरी लेखनी माधुर्य एवं आल्हाद से पूर्ण है। संस्कृत में दृष्टव्य है उनके द्वारा रचित "श्री सहजानन्दघन गुरुदेवाष्टकम्" का यह प्रथम चरण भद्रः सद्गुरुवर्य पूज्य सहजानन्दः सदा राजत । आत्मज्ञो निखिलार्थबोध निपुणः कारुण्यत्तिमहान् ॥ देवैः पूजित पादपद्म विमलश्चन्द्रादिभिः सर्वशों। वन्देऽहं विनयेने तं गुरुवर श्री भावितीर्थङ्करम् ॥ -सहजानन्द सुधा, पृष्ठ २० संस्कृत से भी अधिक उनकी लेखनी का प्रांजल पुरुषार्थ उनकी प्राकृत रचना में दिखाई देता है। वही गुरुभक्ति. वही गुरुगुणगान, पर बड़ी विरल है उनकी यह अभिव्यक्ति अज्झत्त ततस्स सुपारगामी एगावयारी पूईय सुरिंदो । मुणींद मउडो सुजुगप्पहाणो गुरुवरो सहजाणंद णामों ||१|| निव्वाणपत्तो सुसमाहिजुत्तो कत्तीय धवले बीया निहीए । निच्छत्त जाओ इय भरहखित्तो धम्मस्सएगो सायार रूपो ॥२॥ खेयेण खिन्नो अमुमुक्खु संघो जाओ निरालंब समग्ग लोओ। विदेह वित्तट्ठिय ते महप्पा भत्ताण देहि निव्वुइ सुसत्ती ॥३।। वही, पृष्ठ २९ और हिन्दी में तो उनकी लेखनी की यह गुरुभक्ति शासन का धन्यभाग्य दर्शित करने के साथ-साथ गुरु. विरह की अन्तर्वेदना भी सक्षम रूप से प्रतिपादित करती है - हम्पी के योगी । कहाँ तुम गये हो ? आत्मा का दर्शन कराते कराते ।। क्रिया जड़ बना जो तीर्थप का शासन । मार्ग से कोशों भटक के विपथग ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012041
Book TitleBhanvarlal Nahta Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani
PublisherBhanvarlal Nahta Abhinandan Samaroh Samiti
Publication Year1986
Total Pages450
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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