SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भंवरलाल जी का अभिनन्दन, शतशः बार प्रणाम है। जैन-जगत की अविरल सेवा, जो करते निष्काम हैं । भरत-भूमि की अप्रतिम प्रतिमा. प्रज्ञा पुरुष प्रकर्ष से। यह अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित, पुलक उठे हम हर्ष से। युग की अमर विभूति "नाहटा', सरस्वत शृगार हैं। पचहत्तरवाँ वर्ष वरद हो. खुशियाँ अपरंपार है ।। वर्तमान आलोकित उनसे, बना देश अभिराम है। भंवरलाल जी का अभिनन्दन. शतशः बार प्रणाम है ।। हे युग के इतिहास | अमर हो. यही कामना है मेरी। पंडित नहीं. महापंडित हो. धन्य हुई जननी तेरी ।। संस्कृत - प्राकृत - अवहट्टी, गुजराती - बंगाली - अपभ्रंश । पाली- राजस्थानी - हिन्दी, आदि आपके प्रतिभा-अंश । भंवरलाल नाहटा, उसी प्रज्ञा - प्रतिभा का नाम है। जैन जगत की अविरल सेवा, जो करते निष्काम हैं ।। पुरातत्व के प्रमुख पारखी. मूर्तिकला अनुपम मर्मज्ञ । वास्तु-चित्र औ ललितकलाओं के विद्वान, श्रेष्ठ धर्मज्ञ ।। अग्रगण्य अनुसंधानों में, भाषा · शास्त्र संवारे हैं। ज्ञानोदधि की भंवर' भंवर जी. प्रतिपल पूज्य हमारे हैं। मातृभूमि की गोद धन्य है. धन्य धरा यह धाम है। भंवरलाल जी का अभिनन्दन, शतशः बार प्रणाम है। अध्यवसाय-मनन-चिंतन में, अविरल जिनकी निष्ठा है। अजर-अमर इतिहास पुरुष जो, प्रतिपल प्रचुर प्रतिष्ठा है ।। चित्रांकन में चतुर-चारुता, आशु कवि की उत्तमता । शोध लेख में अधिक लोकप्रिय, नहीं विद्वता में समता ।। गहरी पैठ, धर्म-दर्शन में, लेखन आठो याम है। भंवरलाल जी का अभिनन्दन, शतशः बार प्रणाम है। यह अभिनन्दन समारोह, दो अक्टूबर को आयोजित । जैन समाज, शहर कलकत्ता, से इस दिन पंडित पूजित ।। ग्रन्थ भेंट शुभ जन्म दिवस पर, हों शतायु नाहटा महान । है कृतित्व-व्यक्तित्व अनूठा, अंतस मन करता गुणगान ।। दो अक्टूबर इस दुनियाँ में, अमर अलौकिक नाम है। भंवरलाल जी का अभिनन्दन, शतशः बार प्रणाम है। -डा० शोभानाथ पाठक, भोपाल, मध्य प्रदेश ३२] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012041
Book TitleBhanvarlal Nahta Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani
PublisherBhanvarlal Nahta Abhinandan Samaroh Samiti
Publication Year1986
Total Pages450
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy