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भंवरलाल जी नाहटा थे पंडित सरनाल थां रै अमरित बरस पर सादर करू प्रणाम, कवि, लेखक, इतिहासविद् बहु भाषा रो ज्ञान, जिन साहित रा थां जिस्या विरला ही विद्वान, शोध-ग्रन्थ केई लिख्या लिख्या कथा, आख्यान, कलावन्त थे पारखी संवेदनमय प्राण, लिप्यां पुरातन थे पढी खुल्या भेद अज्ञात, सदा गुणीजन बीच में चाले थां री बात. करू कामना नित भरो सुरसत रो भंडार, सरधा रा औ सबद दो करो सहज स्वीकार। -कन्हैयालाल सेठिया
कलकत्ता
भंवरलाल जी नाहटा का विचित्र व्यक्तित्व, कैसे हम वर्णन करें, साहित्यिक कृतित्व । साहित्यिक कृतित्व, चित्र-कविता व कहानी. वैज्ञानिक, प्राचीन शिला - लेखों के ज्ञानी। कहँ काका, दिन-दूनी प्रतिभा बढ़े तुम्हारी, हों शतायु, स्वीकारो शुभकामना हमारी।
-काका हाथरसी हाथरस, उ०प्र०
बीकानेर सुहावणो. मारू धर सिणगार । सम्पत साथै सुरसती. विलसै मोद अपार ॥१॥ बड़ा-बड़ा ग्यानी गुणी, कविजन संधी अनेक । पूरातण रा सेवरा. पाली निरमल टेक ॥२॥ अगरचन्द संचित करयो, विद्या · धन अणपार । बांटयो चित रै चावसू, दोनूं हाथ उदार ||३|| इण ही मारग रो पथिक, भंवरलाल दिन-रात । करचो नाहटा नांव नै, भारत में विख्यात ।।४।।
जनै जुग रो च्यानणो. परगट करचो प्रवीण। दीपायो निज देस ने, ले सुरसत री वीण ||५|| मरुवाणी साहित्य री, सेवा करी अनूप। सोध्या रतन अनेक विध, जन · हित सार सरूप ।।६।। कला - पारखी, गुण - रसिक, माया • मद सं दूर । भंवरलाल थिर जस लियो, भगती रस भरपूर ॥७॥
-मनोहर शर्मा
बीकानेर
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