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________________ उपर्युक्त तालिका के अनुसार इकाई, दहाई और सैकड़ों के स्व१०. O 31-1-1 १४, Jain Education International थ ช था २१. ए २४, फ्रा२६, २८: थ Pyo, ४ प्र ܠܐ ܚܕ * ले ག ७२. कृ. .900, १४५, १७४ : त नू एक ४५. स्ति२०, 6 ७७; म् एक ४०. ला ला यह ताडपत्रीय पत्रांक लेखन पद्धति कागज पर लिखे ग्रन्थों पर चली आती थी किन्तु कई कागज की प्रतियों ५० O ३०, ከ 3€ 3 ३ अंक का उपयोग इस प्रकार किया जाता था 6 ए का २००२२७ ग्र त्रिशती नामक गणित विषयक संग्रह ग्रन्थ में जैन 'अंके' रूप में एक से दस हजार तक के अक्षरांक लिखे हैं। उपर्युक्त तालिका में आये हुए एक से तीन सौ तक के अंकों के पश्चात् अधिक की तालिका यहां दी जाती है ९४ ] ૧૪ स्व १०० ० १ ० स्तो स्ता स्तो सि स्तो मं • 800. लृ ४१५, धू ४७४ : ० ५००, 。 you 35 45€, gyco E, एक ५ फ्र लु ० co. & cc. & vo, & eo. ff. ५०. २७. 倒 VEDEO SE २६६. स्तं स्तं म: ६३७६४७, धु EEV ७०० ७२२७४३. धू jajajapnij 2 ३ ग्र लं १८ jড়: स्व स्व ११५. ऌ we: स्ता स्ता ३००, प्र ३४७; ज्जा में इकाई, दहाई, सैकड़ों के संकेत न व्यवहृत कर केवल इकाई अक्षरांकों का भी व्यवहार हुआ है। यथा For Private & Personal Use Only एक४००. स्व स्ति१२४० एक इत्यादि ८००, स्तं ९००, " स्तु ४०० ते ५००, स्तेि ६००, स्ता ७०० स्तो स्तः १०००, क्षु २०००, क्ष३०००, क्षा ६०००, क्षा७००० ाक्षो ८०००, ४००० ५००० ९००० १०००० इति गणितसंख्या जैनाङ्गानां समाप्ता । www.jainelibrary.org
SR No.012041
Book TitleBhanvarlal Nahta Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani
PublisherBhanvarlal Nahta Abhinandan Samaroh Samiti
Publication Year1986
Total Pages450
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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