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________________ ७० मार्य या १ - १, ३, ब, श्री.श्री २ = २, न, सि.नि.श्री श्री ३% ३.मः,श्री, श्री थी, ४- कक्क, सफा र्फकों क, का, क, क्रा, का, ५- हतं, ई ई ताले, न ना काही नाही ६% फ..फा,,मार्फ़,फ्रा,ॉ,,कफीस. की,काही. ए ... દશક મળે શતક અંકો १ = ल, ले . १- स, र्स २ - घ, चा. २- सू, स्त, न. ३% ल, ला. ४- प्त, तं, ता,ता. ३= स्ना, सा, सा. ४- पस्ता,सा,सा. ५८.8.६,२. 4- स्तो, सो बो. ६- चु, ६- स्तं, स्वं, सं. ७- स्तः,सास. ९-8.8,0.8 DTV यहां इकाई, दहाई और सैकड़ों की संख्या लिखने के समय पृथक्-पृथक अंक दिये गये हैं। पत्रांक लिखने में उनका उसी प्रकार उपयोग होता है ताकि संख्या का सही आकलन किया जा सके | चालू अंक सीधी लाइन में लिखे जाते हैं, परन्तु ताडपत्रीय व उसो शैलो के कागज के ग्रन्थों का पत्रांक देते समय ऊपर नीचे लिखने की प्रथा थी। जेन छेद सूत्र आदि में व भाष्य, चूर्णि, विशेष चूणि, टीका आदि में अक्षरांक सीधी पंक्ति में ही लिखे गए हैं। [ ९३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012041
Book TitleBhanvarlal Nahta Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani
PublisherBhanvarlal Nahta Abhinandan Samaroh Samiti
Publication Year1986
Total Pages450
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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