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लिखतु टीकमदास महसींघ सेरसींघ चत्रभुज चोपड़ा की वंदना .. सा० एकलिंगदास श्रीमाल री तरफ री वंदना संगवी सुखनरचा (?) नंदराम जोरावर समस्त पंचागमल चाहका (?) की १०८ वार वंदना पंचावसी... सा० चत्रभुज बच्छराज हींगड़ री त्रिकाल वंदना १०८ बाचसी। मुहणोत दिलीचन्द घासीराम भैरू दास की वंदना १०८ वर घणे मान करने अवधारसी वेगा पधारसी । सोहनलाल जी ताराचन्द डागा री वंदना वारंवार वंच.जो । साह ॐकारलाल की वंदना... साह डंगरसी काटड़े री त्रिकालवंदन,... साह जयचन्द वरचन्द छाजेड़ री १०८ वार वंदना'' सा० ईसरदास भगजी कवड़ (कावड़िया) री वंदना सा० टेकचन्द गंगवाल री वंदना बांचसी। सा० गुलाव जी मं० अमरदास जी री वंदना वांचसी। चितोड़ा वेणीचन्द मयाचन्द अमरचन्द सिवदासरी १०८ वंदना वणागीया सरावगी दयाचन्द दौलतराम री वंदना १०८ वार वेगा पधारसी । सा० रतना रूपचन्द सवलदास मुणौत री त्रिकाल वंदना सा० दौलतराम सरीपार चितौड़ा री १०८ वार वंदना" लि० दुलीचन्द जोतराज पनाचन्द मालु री त्रिकाल वंदना" सा० ऊद जी ताराचन्द नेमचन्द पोरवाड़ री वंदना सा० खेमचन्द खंडेलवाल सोनी री वंदना लिखतु मूलचन्द वीराणी री वंदना मुखपृष्ठ पर निम्नलिखित लेख है
सकल भट्टारक शिरोमणीय चौरासी गण गच्छनायक जंगम युगप्रधान भट्टारक पुरंदर मट्टारक प्रभु श्री १०८ श्री ( २१ वार ) श्री १०८ श्री जिनहर्षसूरि जी सूरीश्वरान् चरणकमलान् चित्रलेख बीकानेर नै राँगड़ी में खरतर भट्टारक उपासरै पहोंचै ।। श्रीरस्तु ।।
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