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सं विशेष रखावसी जी अत्र नो श्री संघ रात्रि दिन स्मरण कर तो घणो आछो, जिण सं ढील हुई सो तकसीरी माफ करारेयो छै ज्यु चातक मोर रात दिन वर्षा नै रटै ज्यं श्री संघ रट वसी आप कृपा करके वेगा पधारसी ढील करावसी नहीं मोटो रेया छ। सो श्री संघ माथै कृपा करकै अव के चौमास लाभालाभरो कारण घगां जीवां ने सम्यक्त्व रो उदै होसी थोड़े उदयपुर नो करावसी आपरै तो बड़ा-बड़ा श्राबक वाट देख लिख्यौ घणो कर मानसी श्री हजूर रो हरकारा नै चित्रलेख रेया छै श्री संघ माथै पूर्ण कृपा हुवै आछौ पुण्य हुवै जिणी ले करके भेज्यो है सो वेग पधारसी श्री जी महाराज रौ. दरसन ठिकाण श्री जी महाराज रौ पधारणौ हुवै फेर मेवाड़ देश में हुसी सो दिन सोनै रूपै रो ऊगसी श्री संघ लायक सेवा मक्की जव रो खांत छै जिगी सामौ देखावसी नहीं दिन संक- चाकरी हमेशा लिखावसी अत्र श्री जी महाराज रै हुकम री डाइ आया है सो जिगो सामो देखावसी नहीं घणा भव्य वात छै सर्व साधुनंडली सपरिवार सं त्रिकाल वंदना अवधाजीवां नै सम्यक्त्व रो लाभ होसी जिन शासन री घणी रसी जी सं०१८८७ राजेठ वद १३ अक्खर ओधो अधिक महिमा होसी श्री गणधर महाराज पधारसी जठे सर्व वात रो। लिखाणौ हुवे सो तकसीरी माफ करावसी आप मोटा हौ ।। कल्याण होसी फेर इतरा दिन री ढील हुई सो सेठ जी लिखतं सदा सेवक आज्ञाकारी हुकमी पं० ऋषभदास । जोरावरमल जी अठै नहीं नै बच्छावत म्हेता श्री शेरसिंह पं० कुशलचन्द री त्रिकाल वंदना १०८ वार नित्यप्रत्ये जी रै काम नहीं हतो सो दादा साहब री कृपा नै श्री द्वादशावर्त वंदना सदैव अवधारसी श्री संघ री वीनती जी हजूर री कृपा सुदृष्टि सुं करके श्री हजूर सुं खुसी प्रमाण करके वेगा पधारसी ढील करावसो नहीं--- होय के वैसाख सुदि २रै दिन काम संप्यो जठा पछै ऋष ऊंकार की वंदना १०८ अवधारसी जी आप म्हेते जी राजी खुसी होय के कह्यौ श्री जी महाराज पधार वेगा पधारसी दील करसी नहीं।
इसके पश्चात् निम्नलिखित प्रकार से श्रावकों के हस्ताक्षर हैंम्हेता सैरसिंह की वंदना अवधारसी कृपा है ज्यु इ रखासी। सा० वेणीदास बापणा की वंदना दिनप्रत १०८ अवधारसी जी वेगा पधारसी दर्शन वेगा देसी। सा० रूपचंद चमना वेलावत री वंदना मालूम हुवै आप वेगा पधारसी दर्शन वेगा देसी। लिखतु जोरावरमल सुलतानचन्द चनणमल वाफगा का वंदना वचीजो १०८ करने वंदना अवधारीजो धर्मस्नेह राखो छो जिण सं ज्यादा रखावजो आपरा गुण तो अनेक छ इण मध्ये कठै सं लिखीया जावै आप वेगा पधारसी। लि0 पन्नालाल श्रीचंद सुखलाल फलोधियै री वंदना लि० जगरूपदास तिलोकचन्द कांकरियै री वंदना १०८ दिन प्रते अवधारसी। लि० आणंदराम मगनीराम नाहटा री वंदनालि० हेमराज मआचन्दाणी भणसाली की वंदना १०८ वार अवधारसी दर्शन वेगा दीजो... लि० जेठमल ताराचन्द कोठारी की वंदना १०८ अवधारसी जी ..." लि० गुलाबचन्द जोरावरमल दूगड़ री वंदना अवधारसी जी. लि० रामदान मेघराज गोलछ री वंदना ... लि० मु० हिंदुमल की वंदना अवधारसी। साह जेठमल वरठिया ऋषभदास वरठिया की वंदना ....
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