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गुरु-भक्ति भावना
बसन्ततिलका
संसार सागर महा उससे उबारो दादा गुरो श्रमण मंडल आप तारो हो कीर्तिवान सबला व्रत की क्रिया में यों भावना कर रहा शिशु सूरि विद्या
राजेन्द्र राजवर की यशकीर्ति . छाई भव्यात्मा के हृदय-मंदिर में समाई तत्काल दें सुमति को सुख शांति दाई गावें सदा सकल भक्त सुचित्त लाई
(२) राजेन्द्र सूरिवर का अभिधान कोष : विद्वान मान्य करते लख शब्दमाला शंकाविहीन बन के शुभ ज्ञान पाते आचार्य चारु पुरुषोत्तम को प्रणाम :
वितमच्चिा -रुरि
मोहनखेड़ा तीर्थ, २० जुलाई '७७
वी.नि.सं. २५०३
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