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जो असंयम को दूर कर देते है और फिर कभी उसके फन्दै में नहीं फंसते, वे संयम में आरूढ़ रह कर अक्षय सुख को प्राप्त करते हैं; इतना ही नहीं, उनके सहारे अन्यों को भी आत्मविकास का अवसर मिलता है।
-राजेन्द्र सरि
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