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________________ श्रावक चतुर्भुज द्वारा रचित पूज्य श्री मानजी स्वामी के गुण पुजजी रा गुणा की लावणी ०००००००००००० ०००००००००००० हजED पुजजी चीत मन एक धारी। पुज मानमल माहाराज आपकी सुरत बलीहारी ॥ऐ आंकड़ी।। गेर गभीर धीर सागर-सा षमावंत भारी। मेरू सरीषा आप ऊजागर धन धन गुणधारी ॥ पुज ॥१॥ सावण महीने ईन्द्र गाजतो जेसी आप वाणी। जेसो वन मे सीग धडुके बुध गणी साणी ॥ पुज ॥२॥ बुधसागर तो आप कहीजे करणी करी भारी। पुज पाटे तो आप सोवता बाल व्रमचारी ॥ पुज ॥३॥ पाषंडी तो धुजे देषता ग्यान गणो भारी। जीवा ऊपर मय्या ज राषो मैं तो चीत धारी॥ पूज ॥४॥ सुरज सरीषो तेज आपको देषे जन सारी। अगन्यानी कु ग्यान बताबो बुध गणी भारी । पुज ॥५॥ पुज नरसींगदासजी गुरु कहीजे पाट गणो भारी। पुज रोडीदासजी पाट कहीजे वाणी हद प्यारी । पुज।।६।। पंच महाव्रत पालो सुदा दोषण टालो सारी। दय्यावंत तो दय्या ज राषो सुद समता धारी ॥ पुज ॥७।। भरत घेतर में आप वीचरता ठाठ गणो भारी । मेवाड देस तो रुडो कहीये दीप रहा भारी ॥ पुज ।।८।। पंचमे आरे आप दीपता वंदे नर नारी। पाषंडी को सग बुडावौ भाव गणा भारी ॥ पुज ॥६।। हुं सावक तो कहु आपको गुण गावू भारी। चत्रभुज तो नाम हमारो सरणो लीयो भारी ॥ पुज ॥१०॥ समत उगणीसे ओरु तेरे। माहा वीदी दसमी गुण गाय्या काकडोली सेरे ॥पुज ॥११।। ॥ इति संपुरण । समत १६१४ का मती आसोज सुधी दसरावा के दन लषे पुजजी माहाराज श्री १००८ श्री मानमल जी माहाराज ___ तत शी हीराचं लषते उदीआपुर मधे ।। . Facemom S URNA
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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