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अभिनन्दनीय वृत्त : सौभाग्य मुनि 'कुमुद' | १७
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सनवाड़ मेवाड़ सम्प्रदाय का एक पुरातन मान्य क्षेत्र रहा तथा आज भी है। किन्तु मेवाड के समस्त क्षेत्रों के समान भारत भर के सन्त सती समाज में से जो भी इधर आते रहे, मेवाड़ की आम जनता के समान सनवाड़ भी सर्वदा स्वागत करता रहा । लाभ उठाता रहा ।
विगत कुछ वर्षों से सनवाड़ के शुद्ध वातावरण में साम्प्रदायिकता की एक जहरीली हवा प्रवेश पाने लगी। फलतः बातावरण इतना शुद्ध नहीं रहा, जैसा चाहिए । विगत कुछ वर्षों में कुछ ऐसे उदाहरण भी सामने आने लगे, जो सनवाड़ और मेवाड़ की गरिमा के अनुकूल नहीं थे। गड़बड़ बढ़ती जा रही थी, ऐसा लगा तो गुरुदेव श्री ने चातुर्मास कर स्थिति सुधारना उचित समझा।
चन्द विरोधी तत्त्व, चातुर्मास प्रारम्भ नहीं हुआ उसके पहले से सक्रिय हो उठे। आरोपों का वाक्-जाल फैलाने लगे और यह क्रम चातुर्मास में बहुत दूर तक चला भी। किन्तु गुरुदेव की शान्तिप्रियता, समाज के कर्मठ कार्यकर्ताओं की सजगता से वे एक-एक कर अपने सारे कार्यक्रमों में असफल होते गये।
___ सनवाड़ बड़ा गरिमामय क्षेत्र है। इसकी शानदार परम्परा रही है। धर्मसाधना और सेवा में इसका अपना एक अलग कीर्तिमान है । कुछ शरारती तत्त्वों के उपरान्त क्षेत्र का जन-सामान्य धर्मप्रिय, गुणानुरागी तथा सहनशील और शान्तिवादी है । संघ में कई ऐसे कर्मठ और उत्साही कार्यकर्ता हैं, जो ओछेपन से कोसों दूर हैं।
प्रस्तुत चातुर्मास में पैसठ अठाइयों की रिकार्ड साधना तो हुई ही, पच्चीस सौ व्यक्तियों को मदिरा-मांस छुड़ाने की महान योजना को मूर्तरूप ही नहीं मिला, इसे काफी प्रगति भी मिली । बलिदान-विरोधी बिल की पूर्व भूमिका के रूप में यहाँ कार्य हुआ।
महावीर स्वाध्याय केन्द्र का बीजारोपण हआ। प्रवचनों में सर्वधर्मानुयायी केवल सनवाड के ही नहीं, फतहनगर तक के भी विशाल संख्या में लाभ उठाते थे। विहार के समय हजारों नागरिकों ने जब आर्द्र हृदय से गुरुदेव श्री को विदाई दी तब वह दृश्य अवर्णनीय बन गया।
प्रस्तुत चातुर्मास में गुरुदेव श्री के उपदेशों का जैन समाज पर ही क्या, अजैन वर्ग पर भी बड़ा सुन्दर प्रभाव रहा । यहाँ बड़ी संख्या में खटीक समाज रहता है । प्रायः वे व्याख्यान श्रवण का लाभ उठाया करते थे । दानवीर सेठ श्री ऊंकारलालजी सेठिया के शुभ प्रयत्नों के फलस्वरूप समस्त खटीक समाज के पंचों ने स्थानक में एकत्रित होकर वर्ष भर में चौरासी दिन जीवहिंसा के त्याग किये। इस महान उपकार के उपलक्ष में श्रीमान् सेठिया जी की तरफ से खटीकों के श्मशान में चद्दरें लगाई गई तथा वहाँ निम्न लेख अंकित कर दिया गया
"समस्त खटीक समाज द्वारा वर्ष के ८४ दिनों (ग्यारस, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रामनवमी, महावीर जयन्ति, जन्माष्टमी, निर्जला ग्यारस, पर्दूषण) में जीव हिंसा बन्द करने के उपलक्ष में शा० भैरूलाल ऊँकारलाल सेठिया द्वारा श्मशान निर्माण ।
संवत् २०३१, श्रावण वदी १। उदयपुर चातुर्मास
सनवाड़ के यशस्वी चातुर्मास के बाद, आसपास के कई क्षेत्रों में गुरुदेव श्री का प्रभावशाली विचरण हुआ, कई उपकार भी सम्पन्न हुए । घासा में प्रान्तीय युवकों को समाज सुधार के विषय में एक बैठक हुई जिसमें समाज सुधार सम्बन्धी उत्तम विचारणा हुई।
सारे प्रान्त में एक नया वातावरण बनाने में यह बैठक बड़ी सफल रही।
इस वर्ष होली चातुर्मास उदयपुर रहा । राजस्थान बलिबन्दी बिल इस अवसर पर विधानसभा में पेश होने वाला था, उसमें कुछ अड़चनें खड़ी हो रही थीं। कार्यकर्ता यहाँ सेवा में पहुँचे, गुरुदेव श्री ने अपने विशिष्ट सन्देश द्वारा अड़चनें समाप्त करवा दीं; फलत: बलिबन्दी बिल निर्विवाद रूप से विधानसभा में सफल हो गया। होलीचौमासी के अवसर पर ही उदयपुर संघ ने अपने चातुर्मास के हेतु तीव्र आग्रह प्रस्तुत कर दिया, देलवाड़ा संघ उससे पहले ही चातुर्मास
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